दिल्ली: बर्गर किंग के बाहर फ़िलिस्तीन समर्थक संगठन IPSP ने किया प्रदर्शन,
फ़िलिस्तीन के समर्थन में भारतीय जन संगठन (Indian People in Solidarity with Palestine – IPSP) ने शुक्रवार को दिल्ली के रोहिणी स्थित बर्गर किंग आउटलेट के बाहर ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन “बाॅयकॉट, डाइवेस्टमेंट और सैंक्शन (BDS) इंडिया” आंदोलन के तहत आयोजित किया गया।
विरोध प्रदर्शन की शुरुआत IPSP की कार्यकर्ता नौरीन के संबोधन से हुई। उन्होंने ग़ाज़ा की मौजूदा स्थिति पर बात करते हुए कहा कि “तथाकथित युद्धविराम” के बावजूद इज़रायल ने सिर्फ़ 10 दिनों में ही 80 से अधिक बार इसका उल्लंघन किया है, जिसमें 97 फ़िलिस्तीनियों की हत्या और 230 से अधिक लोगों के घायल होने की खबर है।
नौरीन ने कहा कि “ग़ाज़ा के लोग खाने और दवाइयों के लिए तरस रहे हैं, जबकि इज़रायल राहत सामग्री को रोककर उन्हें भूख से मार रहा है।” उन्होंने बताया कि 7 अक्टूबर 2023 से अब तक ज़ायनवादी इज़रायल के हमलों में 68,000 से अधिक फ़िलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें आधे बच्चे हैं।
इसके बाद IPSP के कार्यकर्ता चिरांशु ने बर्गर किंग की भूमिका पर बात करते हुए कहा कि कंपनी ग़ाज़ा में हो रहे नरसंहार में “अप्रत्यक्ष भागीदार” है। उन्होंने बताया कि बर्गर किंग ने 2023 से 2025 के बीच इज़रायली कब्ज़े वाली सेना को $125,000 से अधिक मूल्य के मुफ़्त भोजन और वाउचर उपलब्ध कराए हैं और इज़रायल के समर्थन में सोशल मीडिया पर अभियान चलाया है।
चिरांशु ने कहा, “जब ग़ाज़ा में बच्चे भूख से मर रहे हैं, तब बर्गर किंग इज़रायली सैनिकों को मुफ़्त खाना दे रहा है। ऐसे ब्रांड्स का बहिष्कार बेहद ज़रूरी है।”
प्रदर्शन में शामिल प्रियम्वदा ने बताया कि ग़ाज़ा में हो रहे नरसंहार के विरोध में दुनिया के कई देशों में जनआंदोलन खड़े हो रहे हैं। उन्होंने कहा, “कई देशों में लोग सड़कों पर उतरकर फ़िलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की मांग कर रहे हैं। यह वैश्विक एकजुटता का प्रतीक है।”
प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने पोस्टर, तख्तियाँ और कलाकृतियाँ प्रदर्शित कीं, जिनमें इज़रायल की बर्बरता और बर्गर किंग की कथित संलिप्तता को दिखाया गया। साथ ही, उन्होंने राहगीरों और ग्राहकों को पर्चे भी बाँटे।
BDS आंदोलन के तहत कार्यकर्ताओं ने बताया कि स्टारबक्स, केएफ़सी, पिज़्ज़ा हट और मैकडॉनल्ड्स जैसी कंपनियाँ पहले ही कई देशों में बहिष्कार अभियानों से प्रभावित हुई हैं। उनका कहना था कि इस तरह का आर्थिक दबाव इज़रायली कब्ज़े के खिलाफ प्रभावी हथियार बन रहा है।

