नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध प्रदर्शन के दौरान दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों में पुलिस की कार्यवाही को अदालत ने एकतरफा बताया है।
सांप्रदायिक दंगों के दौरान मौहम्मद नासीर नामक वयक्ति की गोली लगने से एक आँख फूट गई थी नासीर को गोली उसके ही गैर-मुस्लिम पड़ोसियों ने मारी थी।
नासीर ने अपने पड़ोसी नरेश त्यागी एवं सुभाष त्यागी समेत चार लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई थी जिसको दिल्ली पुलिस ने किसी अन्य एफआईआर में जोड़ दिया था जिसके विरोध में मौहम्मद नासीर ने कड़कड़ डूमा कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था।
कोर्ट ने इस मामलें की जांच करते हुए कहा कि मौहम्मद नासीर के मामले में दिल्ली पुलिस की कार्यवाही एक तरफा है तथा पुलिस आरोपियों को बचा रही है।
कोर्ट ने पुलिस की कार्यवाही पर सवाल उठाते हुए दिल्ली पुलिस पर जिम्मेदारी से काम न करने के जुर्म में 25 हज़ार रूपए का जुर्माना भी लगाया है।
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को बेनकाब करते हुए कहा कि पूरा मामला देखने के बाद पता चलता है कि पुलिस आरोपियों को बचा रही है। तथा पुलिस ने इस मामले में बहुत ढीला रवैया अपनाया है।