वक़्फ़ के नाम पर मौजूदा सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने अपनी राजनीति को हिन्दू मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति के तहत पूरा करते हुए लोकसभा और राज्यसभा में संख्या बल के दम पर वक़्फ़ संशोधन बिल को पास करवा के कानून बनवा दिया है।
अभी भी अधिकतर लोगों के दिमाग में यही चल रहा होगा कि आखिर वक़्फ़ बोर्ड के नाम पर इतना जो हंगामा चल रहा है इसमें ऐसा क्या तब्दील हो गया है जो पुरे देश में इसके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे है और सभी विपक्षी पार्टियां इसके खिलाफ लामबंद हो रखी है।
5 पॉइंट में ही आपको पूरा वक़्फ़ का किस्सा कहानी समझ में आ जायेगी। सबसे अहम मुद्दा तो ये है कि जिस वक़्फ़ का संबंध केवल मुसलमानों तक सीमित है उसमें जबरन मौजूदा सत्ताधारी पार्टी संशोधन के जरिये गैर मुस्लिम मेंबर को शामिल करने पर आमादा है। नए कानून के तहत अब वक़्फ़ बोर्ड में कम से कम दो मेंबर गैर मुस्लिम होना जरूरी है।
जबकि इसके उल्ट किसी भी दूसरे धर्म की धार्मिक संस्था अथवा धर्मार्थ बोर्ड में बोर्ड मेंबर तो उसी धर्म के मानने वाले ही होते है यहाँ तक उसके प्रशासनिक अधिकारी भी उसकी धर्म के अनुयायी होने जरूरी है। वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड, सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और हिंदू Endowment बोर्ड इसकी उत्तम उदाहरण है।
दूसरा और सबसे अहम बिंदु ये है कि वक़्फ़ की जमीनों पर सबसे ज्यादा कब्ज़ा जिस सरकारी तंत्र ने कर रखा है वही सरकार संशोधन के जरिये से ये कानून बना चुकी है कि अब कोई भी सरकारी जमीन वक़्फ़ के अधीन नहीं आयेगी।
ये तय कैसे हुआ कि कौन सी प्रॉपर्टी सरकारी जमीन है जिसका वक़्फ़ होने का कोई सबूत नहीं है इसको भी तय करने के अधिकार जिलाधिकारी को दे दिया गया है जो सीधे तौर पर सरकार का ही नुमाईंदा होता है।
तीसरा सबसे महत्वपूर्ण बिंदु ये है कि अभी तक मुसलमानों के मस्जिद कब्रिस्तान के लिए कोई भी जमीन दे सकता था मगर अब सरकार ने बोर्ड में तो गैर मुस्लिम को शामिल करने की बाध्यता कर दी है मगर को गैर मुस्लिम मुसलमानों को संपत्ति दान नहीं कर सकता है।
संसद में पंजाब के सांसद अमरिंदर सिंह राजा वरिंग ने खुल कर कहा था कि अभी तक पंजाब में जब मुस्लिम समुदाय को किसी कब्रिस्तान के लिए जमीन कम पड़ती थी तो सिख समुदाय आगे बढ़ कर उनका सहयोग करता था मगर अब ये मोदी सरकार हमारे भाईचारे को बर्बाद करने पर उतारू है।
चौथा सबसे अहम बिंदु ये है कि मौजूदा मोदी सरकार ने वक़्फ़ के नए कानून में अफसरशाही को बेहद ताकतवर बना दिया गया है। अब किसी भी विवादित संपत्ति की स्थिति में जिलाधिकारी अथवा डीएम ही उस प्रॉपर्टी का वेरिफिकेशन करेगा।
इसके साथ सबसे खतरनाक बात तो ये है कि सरकारी संपत्ति पर विवाद की स्थिति में मामला न्यायलय में रहने तक संपत्ति वक़्फ़ नहीं रहेगी। इस कानून के संशोधन के बाद ASI की सम्पतियों पर वक़्फ़ का दावा अपने आप रद्द हो जायेगा।
अब किसी भी पुरातत्व विभाग की किसी भी बिल्डिंग को वक़्फ़ नहीं कहा जायेगा जबकि मुसलमानों की सैंकड़ों मस्जिदें और कब्रिस्तान अभी भी ASI के तहत ही आती है जिसमें से अधिकतर में नमाज पढ़ने पर पहले ही पाबन्दी लग चुकी है।
सबसे आखिरी बात ये है कि जो सत्ताधारी भाजपा मुसलमानों और मुस्लिम महिलाओं के उत्थान का दावे कर रही है उसका पूरी लोकसभा में भाजपा के 240 सदस्यों में से एक भी मुस्लिम सांसद नहीं है। बिलकुल ऐसे ही राज्यसभा में भी भाजपा की तरफ से कोई भी मुस्लिम सांसद चुना नहीं गया है केवल एक सदस्य को राष्ट्रपति की तरफ नामांकित किया गया है।
सोचिये तीसरी बार केंद्र में सत्ता पर काबिज होने वाली मोदी सरकार में एक भी मुस्लिम मंत्री शामिल नहीं है। जो भाजपा मुस्लिम महिलाओं के उत्थान का दावा कर रही है उसी भाजपा की केंद्र और तमाम राज्य सरकारों में कोई भी मुस्लिम महिला विधायक, विधानपरिषद सदस्य अथवा मंत्री शामिल नहीं है।
(यह लेखक के अपने विचार है, लेखक अंसार इमरान रिसर्चर है)