दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव (DUSU) की शुरुआत एक बार फिर बड़े विवाद के साथ हुई है, छात्र संगठनों ने एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगाते हुए इलेक्शन कमीशन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए है।
छात्र संगठन AISF ने डूसू चुनाव आयोग पर उपाध्यक्ष पद के लिए एआईएसएफ उम्मीदवार का नामांकन अनैतिक रूप से रद्द करने का आरोप लगाया है।
AISF की तरफ़ से ज़ारी आधिकारिक बयान के मुताबिक़, शिवाजी कॉलेज के छात्र मोहम्मद अकरम के साथ भेदभाव किया गया है। जांच समिति ने बताया कि एक कॉलम में प्रिंसिपल का साइन नहीं था। लेकिन दूसरे उम्मीदवारों के साथ ऐसा नहीं किया गया, जिनकी यही समस्या थी।
कॉमरेड अकरम को बताया गया कि वे प्रिंसिपल से पुष्टि करेंगे। लेकिन यह सुविधा दूसरे उम्मीदवारों को दी गई, जिनके पास पैसे और बाहुबल है।
एआईएसएफ ने फ्रेटरनिटी मूवमेंट के उम्मीदवार का नामांकन एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं द्वारा फाड़ने का भी आरोप लगाते हुए कहा है कि इसका मतलब परिसर सुरक्षित और समावेशी नहीं है। हम इस आपराधिक रवैये की निंदा करते हैं।
इस मामले फ्रेटरनिटी मूवमेंट ने भी अपना आधिकारिक बयान ज़ारी करते हुए कहा है कि, NSUI के गुंडों ने डूसू चुनाव में संभावित हार से बचने के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने के प्रयास में फ्रेटरनिटी मूवमेंट के उम्मीदवारों को धमकाने के लिए मजबूर किया।
कार्रवाई तब और बढ़ गई जब ये अपराधी अवैध रूप से चुनाव आयोग के कार्यालय में घुस गए और महत्वपूर्ण चुनाव दस्तावेजों को फाड़ दिया। चिंता की बात यह है कि वहां मौजूद चुनाव अधिकारियों और पुलिस ने भी हस्तक्षेप नहीं किया।
फ्रेटरनिटी मूवमेंट डीयू नामांकन की समय सीमा बढ़ाने और अपराधियों के खिलाफ जवाबदेही की मांग करता है। हम छात्र समुदाय से लोकतंत्र पर हमले का विरोध करने और आगामी चुनावों में हिंसा की राजनीति को खारिज करने का आग्रह करते हैं।