दिल्ली में ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) की सक्रियता को देखकर विपक्षी दल घबरा गए हैं. तथा एआईएमआईएम को कार्यालय का उद्घाटन करने से रोक रहें हैं।
बीते दिनों बाबरपुर विधानसभा के जनता कॉलोनी वार्ड में मजलिस के कार्यालय उद्घाटन के अवसर पर पुलिस ने पहुंचकर माइक बंद करवा दिया था. तथा 3 लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कर दी थी।
एआईएमआईएम दिल्ली अध्यक्ष कलीमुल हफीज़ का कहना है कि दिल्ली पुलिस का भेदभाव पूर्ण रवैया उस वक्त खुलकर सामने आ गया जब उसने जनता कॉलोनी वार्ड में हमारे कार्यालय का उद्घाटन होने से रोकने की कोशिश की।
एक तरफ़ बाजारों में हजारों की भीड़ है दूसरी तरफ़ आपका विधायक आपके द्वार के प्रोग्राम में कई कई हज़ार लोग जमा हो रहे हैं. वही मजलिस को कार्यालय का उद्घाटन करने से पुलिस रोक रही है और पहले से इजाज़त लेने पर इजाज़त भी नहीं दे रही है। यह हमारे ऊपर ज़ुल्म है।
कलीमुल हफ़ीज़ ने कहा सरकार को मजलिस की कामयाबी का ख़ौफ़ सताने लगा है। इसलिए उसके मंत्री पुलिस को भेजकर प्रोग्राम रुकवाने की कोशिश कर रहे हैं पुलिस ने वहां पर मौजूद लोगों को धमकाया, औरतों को डराया और कई लोगों से मोबाइल छीन लिए, साउंड सिस्टम वाले को भगा दिया यह पुलिस की ज़्यादती है और लोकतंत्र का मज़ाक है।
आख़िर पुलिस मजलिस के कार्यकर्ताओं को किसके इशारे पर परेशान कर रही है? उसके साथ ही पुलिस ने देर रात वार्ड अध्यक्ष के घर को पुलिस की भारी तादाद के साथ इस तरह घेर लिया जैसे किसी दहशत गर्द को घेरा जाता है और बाद में मजलिस के तीन लोगों के ख़िलाफ़ एफ़ आई आर दर्ज कर दी।
इन तीन में से तैयबा यासीन ने तो बक़ायदा मजलिस ज्वाइन भी नहीं की है। मजलिस अध्यक्ष ने कहा कि इस तरह सरकार समझती है कि मजलिस डर जाएगी ऐसा हरगिज़ नहीं होगा। मजलिस के कार्यकर्ताओं के हौसले बुलंद हैं जनता पुलिस की ज़्यादतियां और भेदभाव देख रही है सही वक़्त पर जवाब देगी।
कलीमुल हफ़ीज़ ने कहा कि पुलिस के पास पहले से प्रोग्राम की इजाज़त लेने जाएं तो टरका देती है और इजाज़त नहीं देती। पुलिस एक तरफ़ से प्रोग्राम को रोकने के लिए आती है और एफ़ आई आर दर्ज कर देती है।
हालांकि कोरोना गाइडलाइनस के अनुसार 200 लोगों के प्रोग्राम की इजाज़त है दूसरी तरफ पूरी दिल्ली में सरकार के विधायक अपने इलाकों में भारी भीड़ के साथ आपका विधायक आपके द्वार का प्रोग्राम कर रहे हैं। पुलिस को दोगले रवैया से बाज आना चाहिए और क़ानून के मुताबिक़ काम करना चाहिए। क़ानून की नज़र में सब एक हैं। इसलिए सबके साथ एक जैसा ही सलूक किया जाना चाहिए।