वैश्विक असमानता रिपोर्ट 2026 में सामने आए चौंकाने वाले आंकड़ों के अनुसार भारत दुनिया के सबसे अधिक असमान देशों में शामिल है। रिपोर्ट बताती है कि देश में संपत्ति और आय का बड़ा हिस्सा बेहद सीमित लोगों के हाथों में सिमटा हुआ है, जबकि आबादी का बड़ा वर्ग बेहद कम संसाधनों में जीवन गुज़ार रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में शीर्ष 10% लोग कुल राष्ट्रीय आय का 58% हिस्सा कमाते हैं, जबकि नीचे के 50% लोगों को केवल 15% आय ही मिल पाती है। संपत्ति के मामले में असमानता और भी गंभीर है—देश की कुल संपत्ति का 65% शीर्ष 10% लोगों के पास है, जबकि सबसे अमीर 1% के पास ही करीब 40% राष्ट्रीय संपत्ति केंद्रित है।
यह रिपोर्ट पेरिस स्थित वर्ल्ड इनइक्वैलिटी लैब द्वारा तैयार की गई है, जिसे अर्थशास्त्री लुकास शांसल, रिकार्डो गोमेज़-कारेरा, रोवैदा मोश्रिफ़ और थॉमस पिकेटी ने संपादित किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि यह असमानता केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी तेजी से बढ़ रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की सबसे अमीर 10% आबादी उतनी आय अर्जित करती है जितनी बाकी 90% लोग मिलकर भी नहीं कमा पाते। वहीं, दुनिया भर में सिर्फ करीब 60,000 लोगों के पास आधी वैश्विक आबादी—यानी लगभग 4.1 अरब लोगों—की कुल संपत्ति से तीन गुना अधिक धन है।
रिपोर्ट इस बात पर भी ज़ोर देती है कि असमानता कोई प्राकृतिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि राजनीतिक और नीतिगत फैसलों का नतीजा है। इसमें कहा गया है कि बढ़ती असमानता लोकतंत्र को कमजोर करती है, सामाजिक विभाजन को गहराती है और जलवायु संकट का बोझ सबसे ज़्यादा उन लोगों पर डालती है, जो इसके लिए सबसे कम जिम्मेदार हैं।
हालांकि रिपोर्ट यह भी कहती है कि यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति हो और न्यायपूर्ण कर व्यवस्था व सामाजिक निवेश को प्राथमिकता दी जाए, तो इस असमानता को कम किया जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक समाधान मौजूद हैं, कमी केवल उन्हें लागू करने की इच्छाशक्ति की है।
कुल मिलाकर, वैश्विक असमानता रिपोर्ट 2026 भारत सहित पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि अगर मौजूदा आर्थिक नीतियों में बदलाव नहीं किया गया, तो अमीर और गरीब के बीच की खाई और गहरी होती चली जाएगी।

