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गुजरात: कोर्ट ने गोहत्या से जुड़े मामले में 2 मुस्लिम युवकों को किया बरी, गौरक्षकों और पुलिसकर्मियों के खिलाफ दिया FIR दर्ज करने का आदेश

गुजरात के पंचमहल जिले की एक सत्र अदालत ने मंगलवार को गौहत्या के लिए मवेशियों को ले जाने के आरोपी दो मुस्लिम व्यक्तियों को बरी करते हुए, तीन राज्य पुलिस अधिकारियों और दो पंचों, जो स्वयंभू गौरक्षक हैं, के खिलाफ ‘झूठा’ गौहत्या का मामला दर्ज करने के लिए बीएनएस अधिनियम (चोट पहुंचाने के इरादे से अपराध का झूठा आरोप) की धारा 248 के तहत एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है।

5वें अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश परवेजहमद मालवीय ने देखा कि जुलाई 2020 में गुजरात पशु संरक्षण अधिनियम 2017 और पशु क्रूरता अधिनियम 1860 के तहत नजीरमिया सफीमिया मालेक और इलियास मोहम्मद दावल के खिलाफ दर्ज की गई शिकायत पूरी तरह से झूठी थी, जिसके कारण उन्हें लगभग 10 दिनों तक न्यायिक हिरासत में गलत तरीके से रखा गया था।

आदेश में जिला न्यायालय के रजिस्ट्रार आरएस अमीन को सहायक हेड कांस्टेबल रमेशभाई नरवतसिंह और शंकरसिंह सज्जनसिंह, पुलिस उपनिरीक्षक एमएस मुनिया और दो पंच गवाहों मार्गेश सोनी और दर्शन उर्फ ​​पेंटर पंकज सोनी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता अधिनियम की धारा 248 (भारतीय दंड संहिता की धारा 211 के अनुरूप) के तहत आपराधिक शिकायत दर्ज करने का निर्देश दिया गया।

आपराधिक शिकायत के अलावा, अदालत ने पंचमहल, गोधरा के पुलिस अधीक्षक को संबंधित अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक़, अदालत ने कहा, “जांच अधिकारी को उचित और विवेकपूर्ण तरीके से अपराध की जांच करनी थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और आरोपियों के खिलाफ उन अपराधों के लिए आरोपपत्र प्रस्तुत किया, जो न तो उन्होंने किए थे और न ही उन पर कोई आरोप लगाया गया था।

आपको बता दें कि, 2020 में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ 2017 अधिनियम की धारा 6(ए)(1), 8(4) और 10, 1860 अधिनियम की धारा 11(1)(डी)(ई)(एफ)(एच), आईपीसी की धारा 279, मोटर वाहन अधिनियम की धारा 177 और 184 तथा गुजरात पुलिस अधिनियम की धारा 119 के तहत मामला दर्ज किया और उन पर गोहत्या के उद्देश्य से मवेशियों को ले जाने का आरोप लगाया था।

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