देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान दिल्ली विश्वविद्यालय ने सावरकर के नाम से कॉलेज खोलने का फ़ैसला लिया हैं. जिसका तमाम छात्र संगठन विरोध कर रहें हैं।
डीयू की कार्यकारिणी परिषद की बैठक में सर्वसम्मति से विनायक दामोदर सावरकर और भाजपा नेता सुषमा स्वराज के नाम से कॉलेज खोलने का फैसला हुआ हैं।
जिसको डीयू कुलपति कुलपति योगेश सिंह ने शुक्रवार को हुई ईसी की बैठक में मंज़ूरी दे दी हैं. तथा ये तय किया है कि अब जो नए सेंटर व कॉलेज बनेंगे उनका नाम सावरकर और सुषमा स्वराज के नाम पर रखा जाएगा।
दिल्ली विश्वविद्यालय के इस फैसले का कांग्रेस की छात्र इकाई नैशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) जमकर विरोध कर रहीं है।
एनएसयूआई दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष कुनाल सहरावत का कहना है कि “मैं दिल्ली विश्वविधालय प्रशासन को खुली चेतावनी देता हूं, अगर आपने माफ़ीवीर सवारकर के नाम से कॉलेज खोलने का फ़ैसला वापस नहीं लिया तो एनएसयूआई दिल्ली विश्वविद्यालय को ठप कर देगी. डीयू में माफ़ीवीर जैसे लोगों के नाम से हम एक शौचालय भी नहीं खुलने देंगे।
मैं दिल्ली विश्वविधालय प्रशासन को खुली चेतावनी देता हूं, अगर आपने माफ़ीवीर सवारकर के नाम से कॉलेज खोलने का फ़ैसला वापस नहीं लिया तो एनएसयूआई दिल्ली विश्वविद्यालय को ठप कर देगी।
डीयू में माफ़ीवीर जैसे लोगों के नाम से हम एक शौचालय भी नहीं खुलने देंगे।@UnivofDelhi #savarkar
— Kunal Sehrawat (@Kunalsehrawat8) October 31, 2021
कुनाल सहरावत का कहना है कि सावरकर अंग्रेजो का चाटुकार था. उसने सबसे पहले दो राष्ट्र का सिद्धांत दिया था, तथा उसके बाद अंग्रेजो को 6 माफीनामे लिखें. ये वहीं सावरकर हैं जिसने अंग्रेजो से कहा था कि छोड़ दो सरकार, रहूंगा आपका वफादार. ऐसे व्यक्ति के नाम पर हम कॉलेज नहीं खुलने देंगे।