जमात-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष मलिक मोहतसिम ख़ान ने गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा लाउडस्पीकर के माध्यम से अज़ान पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज करने के फैसले का स्वागत किया है।
मीडिया को दिए एक बयान में, जेआईएच के उपाध्यक्ष ने कहा, “हम गुजरात उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध की खंडपीठ के फैसले का स्वागत करते हैं, जिसने लाउडस्पीकर के माध्यम से अज़ान पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया. हम गुजरात उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश के विचारों से पूरी तरह सहमत हैं कि याचिका “पूरी तरह से गलत” थी और “यह समझना मुश्किल था कि लाउडस्पीकर के माध्यम से दी जाने वाली अज़ान कैसे मानक सीमा से अधिक हो सकती है और जिसके द्वारा ध्वनि प्रदूषण पैदा करने से बड़े पैमाने पर जनता के स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो रहा है.”
ख़ान ने आगे कहा, “जमात को लगता है कि अन्य धार्मिक प्रथाओं के दौरान उत्पन्न शोर की तुलना में अज़ान के कारण शोर को निशाना बनाना और स्वास्थ्य खतरे के बारे में शिकायत में स्पष्ट विरोधाभास था. मंदिरों और अन्य धार्मिक जुलूसों में भजन या आरती के दौरान तेज संगीत को अनदेखा और सामान्य करके अज़ान पर चुनिंदा आक्रोश से धार्मिक पूर्वाग्रह और इस्लामोफोबिया की बू आती है, जो दुर्भाग्य से, हमारे राजनीतिक परिवेश में पैठ बना रहा है. भारत में धार्मिक सहिष्णुता और सांप्रदायिक सौहार्द का गौरवशाली इतिहास रहा है. हम भारत के लोगों से अपील करते हैं कि वे उन लोगों के झांसे में न आएं जो नफरत भड़काना चाहते हैं और अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए धर्म का दुरुपयोग करना चाहते हैं.”
जमात-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष ने कहा, “हम इस बात पर ज़ोर देना चाहते हैं कि अज़ान मुसलमानों को मस्जिदों में पांच बार की अनिवार्य सामूहिक प्रार्थना में शामिल होने के लिए एक आह्वान के रूप में होती है. यह प्रथा पैगंबर मुहम्मद (उन पर शांति हो) द्वारा शुरू की गई थी और आज भी जारी है.” अज़ान के शब्द हमारे और संसार के निर्माता की महानता का उद्घोष है और गवाही देते हैं कि मुहम्मद (उन पर शांति) ईश्वर के पैगंबर हैं. यह शांति का आह्वान है. हम अपने साथी भाइयों और बहनों को कुरान का अध्ययन करने और इस्लाम के पैगंबर के जीवन को पढ़ने के लिए आमंत्रित करते हैं ताकि वे खुद को इस्लाम की महान और प्राचीन शिक्षाओं से परिचित करा सकें. जमाअत को लगता है कि हमारे देश के लिए आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका विविधता के बीच हमारी एकता का जश्न मनाना और प्यार और करुणा फैलाना है.”