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मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि पैग़ंबर मोहम्मद ﷺ की शिक्षाएँ पहले से ही राज्य सरकार के स्कूल पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं: एम के स्टालिन

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने रविवार को स्पष्ट किया कि पैग़ंबर मोहम्मद ﷺ की शिक्षाएँ पहले से ही राज्य के स्कूल पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं।

दरअसल, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के नेता नेल्लई मुबारक ने पैग़ंबर मोहम्मद ﷺ की शिक्षाओं को पाठ्यक्रम में शामिल करने की माँग की थी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए स्टालिन ने कहा, “SDPI नेता ने अनुरोध किया कि पैग़ंबर मोहम्मद ﷺ को सिलेबस में शामिल किया जाए। मुझे यह बताते हुए खुशी है कि यह पहले से ही तमिलनाडु शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल है।”

स्टालिन ने पैग़ंबर मोहम्मद ﷺ के समानता और भाईचारे के संदेश की सराहना करते हुए कहा कि ये विचारधाराएँ पेरियार ई.वी. रामासामी, डीएमके संस्थापक सी.एन. अन्नादुरई और पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि जैसे द्रविड़ नेताओं के आदर्शों से मेल खाती हैं।

मुख्यमंत्री ने मुस्लिम समुदाय को आश्वस्त करते हुए कहा कि द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) हमेशा उनके अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहेगी। इस दौरान उन्होंने प्रतिद्वंद्वी दलों एआईएडीएमके और बीजेपी पर जमकर निशाना साधा।

स्टालिन ने बीजेपी सरकार की वक़्फ़ क़ानून में किए गए विवादित संशोधनों की आलोचना की और कहा कि DMK की कानूनी लड़ाई की वजह से ही सुप्रीम कोर्ट ने इन संशोधनों के अहम प्रावधानों पर रोक लगाई।

उन्होंने एआईएडीएमके पर मुस्लिम मुद्दों से धोखा देने का आरोप लगाया और कहा कि नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) और तीन तलाक़ जैसे मामलों में उसने मुसलमानों का साथ नहीं दिया। स्टालिन ने कहा, “आपको अच्छी तरह याद है कि किसने कहा था कि CAA से किसी को नुकसान नहीं होगा और किसके शासन में मुसलमानों को CAA विरोध के दौरान लाठियाँ खानी पड़ीं।”

स्टालिन ने DMK की ऐतिहासिक भूमिका का भी ज़िक्र किया, जिसमें 1969 में करुणानिधि सरकार ने मिलाद-उन-नबी की छुट्टी की घोषणा की थी, जिसे 2001 में एआईएडीएमके ने रद्द कर दिया और बाद में 2006 में DMK ने इसे दोबारा बहाल किया।

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