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इमरान प्रतापगढ़ी की मेहनत रंग लाई, 107 दिन बाद लिंचिंग के शिकार चूड़ी विक्रेता तस्लीम अहमद को मिली जमानत

हिंदुस्तान में एक नया चलन शुरू हो गया है जिसके तहत पीड़ित व्यक्ति जेल में रहता हैं तथा आरोपी उससे पहले रिहा हो जाते हैं।

मध्य प्रदेश में लिंचिंग का शिकार हुए तसलीम अहमद के साथ भी यही हुआ. उनकी लिंचिंग करने वाले भगवाधारियों को एक हफ्ते में ही ज़मानत मिल गई थीं. लेकिन पीड़ित तसलीम अहमद को 107 दिन बाद जमानत मिली।

इंदौर के गोविंदनगर इलाक़े में चूड़ी बेचते हुए लिंचिंग का शिकार हुए तसलीम अहमद को हाईकोर्ट ने 107 दिन बाद जमानत दे दी हैं।

तसलीम अहमद की कानूनी लड़ाई लड़ने में कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन एवं मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं।

इमरान प्रतापगढ़ी ने तसलीम का केस लड़ने के लिए मुफ्त कानूनी सहायता उपलब्ध कराई थीं. जिसके बाद उनको ज़मानत मिली।

इमरान प्रतापगढ़ी का कहना है कि “लम्बी क़ानूनी लड़ाई के बाद आज इंदौर मामले में तस्लीम चूड़ी वाले की ज़मानत मंज़ूर हो गई. माननीय हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने फैसला सुनाया. साथी वकील एहतेशाम हाशमी, दीपक बुंदेला जी, ज्वलंत सिंह जी और शेख अलीम जी ने इस मामले में क़ानूनी पहलू देखा, आरिफ़ मसूद जी ने सराहनीय मदद की।”

आदिल शाहनवाज खान के अनुसार “इंदौर में लिंचीग का शिकार चूड़ी विक्रेता तस्लीम अहमद को आज 107 दिनों पर इमरान प्रतापगढ़ी व एडवोकेट एहतिशाम हाशमी के कथक प्रयासों से जमानत मिल गई है, अफ़सोस है कि आरोपियों को निचली अदालत से जमानत मिल गई थी और एक पीड़ित मज़दूर की जमानत के लिए हाइकोर्ट तक संघर्ष करना पड़ा।”

पत्रकार ज़ाकिर अली त्यागी का कहना है कि “इंदौर में चूड़ी बेचने वाले तस्लीम अहमद को आज हाइकोर्ट से जमानत मिल गई है, तस्लीम की लिंचीग करने वाले आरोपियों को 1 ही हफ़्ते में जमानत मिल गई थी लेकिन पीड़ित को आज 3 महीने बाद जमानत मिल पाई है, यह उदाहरण के लिए जीता जागता सबूत है कि पीड़ित को जेल भेजा गया और जमानत के लिए लड़ना पड़ा।”

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