जयपुर-मुंबई सुपरफास्ट एक्सप्रेस में हुई गोलीबारी में मारे गए तीन मुस्लिम यात्रियों में से एक असगर शेख की पत्नी ने बर्खास्त आरपीएफ कांस्टेबल चेतन सिंह चौधरी की जमानत याचिका के विरोध में अदालत में जोरदार दलीलें पेश कीं।
उन्होंने कहा कि आरोपी का मानसिक रूप से अस्थिर होने का दावा विश्वसनीय नहीं है। यदि वह वास्तव में विक्षिप्त होता तो यात्रियों के पहनावे और नाम से उनकी पहचान करके सिर्फ मुस्लिम यात्रियों को निशाना नहीं बनाता।
अभियोजन पक्ष के अनुसार चौधरी पर सहायक उपनिरीक्षक टीकाराम मीणा (आदिवासी समुदाय से) और तीन मुस्लिम यात्रियों — अब्दुल कादर भानपुरवाला, सदर मोहम्मद हुसैन और असगर अब्बास शेख — की हत्या का गंभीर आरोप है। इसे एक निर्मम और लक्षित हमला बताया गया है।
चौधरी ने “भ्रम विकार” का हवाला देते हुए जमानत की मांग की है, जबकि अभियोजन पक्ष और पीड़ित पक्ष ने कहा कि यह दावा प्रमाणों के बिना है।
दिसंबर 2023 में इसी आधार पर उनकी जमानत याचिका पहले भी खारिज की जा चुकी है। prosecution ने कहा कि मानसिक बीमारी का कोई ठोस मेडिकल सबूत नहीं है और आरोपी “गूगल सर्च” के आधार पर दावे कर रहा है।
अब तक 16 गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। एक महत्वपूर्ण गवाह, आरपीएफ हेड कांस्टेबल ने बताया कि आरोपी ने ट्रेन के अंदर खास तौर पर मुस्लिम यात्रियों की तलाश कर उन्हें गोली मारी।
अदालत में मीरा रोड के एक पुलिसकर्मी का बयान भी दर्ज किया गया, जिसमें उसने बताया कि चौधरी ने उसे धमकाया, “रास्ते से हट जाओ, नहीं तो गोली मार दूंगा।”
घटना के बाद सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में आरोपी को खून से सने एक शव के पास खड़े होकर यह कहते सुना गया कि “अगर हिंदुस्तान में रहना है और वोट देना है, तो सिर्फ नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ को देना।”
चौधरी पर भारतीय दंड संहिता के तहत हत्या, धार्मिक आधार पर नफरत फैलाने, अपहरण और शस्त्र अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज है। रेलवे सुरक्षा बल से उसे पहले ही बर्खास्त किया जा चुका है।
अदालत इस महीने के अंत में जमानत याचिका पर अगली सुनवाई करेगी।

