जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने लोकसभा चुनाव के बाद देश के विभिन्न क्षेत्रों में हुई सांप्रदायिक हिंसा और मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर खेद प्रकट करते हुए कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को सत्ता में आये लगभग एक महीना हो गया है और ऐसा प्रतीत होता है कि वह अपने सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मूल जिम्मेदारी से अनजान है।
एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ सिविल राइट्स (एपीसीआर) की रिपोर्ट दर्शाती है कि लोकसभा चुनावों के बाद मुस्लिम समुदाय को अन्यायपूर्ण और शर्मनाक तरीके से निशाना बनाया गया है रिपोर्ट का विवरण अंतिम पेज पर है।
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद मुसलमानों को सांप्रदायिक आधार पर निशाना बनाने की इस कोशिश को तुरंत बंद करने की मांग करती है। सरकार को हिंसा के इन जघन्य कृत्यों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना चाहिए और प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। हम भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, 2023 के उस खंड के सख्ती से निष्पक्ष कार्यान्वयन की मांग करते हैं, जिसमें भीड़ द्वारा हत्या के लिए आजीवन कारावास से लेकर मृत्युदंड तक की कठोर सजा का प्रावधान है ताकि इस तरह के बर्बर कृत्यों पर रोक लगाई जा सके। हम उपरोक्त मुद्दे पर भारत के गृह मंत्री से एक व्यापक बयान की मांग करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लक्षित भीड़ हत्या की घटनाएं, अवैध विध्वंस और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ घृणा अपराधों को तुरंत रोका जाए. हम यह भी आशा करते हैं कि लोकसभा में पर्याप्त संख्या के साथ, ‘इंडिया’ गठबंधन के सांसद और विपक्ष के लोग संसद में उपरोक्त चिंताओं को दृढ़ता से संबोधित करेंगे।
नये आपराधिक कानून
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में होने वाले बदलावों पर चिंता व्यक्त करती है, जिसमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) को जुलाई 2024 से नव पारित भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) कानूनों द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है।जुलाई 2024 से 1 जुलाई से पहले और बाद में दर्ज मामले अलग-अलग कानूनों के अंतर्गत आएंगे। दो समानांतर आपराधिक न्याय प्रणालियां अस्तित्व में आएंगी, जिससे कानूनी प्रक्रिया और जटिल हो जाएगी तथा पहले से ही कार्यभार से दबी न्यायपालिका पर अधिभार होगा । इससे भ्रम की स्थिति पैदा होगी और न्याय मिलने में देरी होगी।
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद का मानना है कि आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम में साधारण संशोधन, पूरे कानून को फिर से लिखने की तुलना में अधिक उपयुक्त होता।इन नए कानूनों में कई समस्याएं हैं। सबसे पहले, इन्हें संसद में उचित चर्चा के बिना दिसंबर 2023 में पारित कर दिया गया, जबकि कई विपक्षी सदस्यों को निलंबित कर दिया गया था। उदाहरण के लिए, भले ही सरकार पुराने राजद्रोह कानून को खत्म करने का दावा करती है, लेकिन एक नई, अधिक कठोर धारा (बीएनएस की धारा 152) पेश की गई है।
पुराने राजद्रोह कानून की तरह, यह नई धारा भी सुरक्षा चिंताओं की आड़ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहमति को प्रभावित करेगी। साथ ही इसमें झूठे मामले दर्ज करने के लिए पुलिस अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने का कोई प्रावधान नहीं है। नये कानून के तहत पुलिस को 3 से 7 वर्ष के कारावास की सजा वाले अपराधों के लिए एफआईआर दर्ज करने का अधिकार दिया गया है। इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा और वंचित वर्गों के लिए एफआईआर दर्ज कराना कठिन हो जाएगा। पुलिस अब 60 से 90 दिनों की अवधि के दौरान किसी भी समय 15 दिनों तक की हिरासत का अनुरोध कर सकती है।
इससे लम्बे समय तक हिरासत में रहना पड़ सकता है और सत्ता का दुरुपयोग हो सकता है, जिससे नागरिक स्वतंत्रता कमजोर हो सकती है। हालांकि 2027 तक न्याय प्रणाली (एफआईआर, निर्णय आदि) को डिजिटल बनाने के प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन यह उन गरीब और हाशिए पर पड़े वर्गों के लिए भेदभावपूर्ण होगा, जिनके पास टेक्नोलॉजी और इंटरनेट तक पहुंच नहीं है। जमाअत-ए-इस्लामी हिंद हमारी कानूनी प्रणाली को उपनिवेशवाद से मुक्त करने के वास्तविक प्रयासों का समर्थन करती है, लेकिन पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को नागरिकों के प्रति जवाबदेह बनाए बिना वास्तविक उपनिवेशवाद से मुक्ति नहीं हो सकती।
एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ सिविल राइट्स (एपीसीआर) की रिपोर्ट:
लिंचिंग 22 जून चिखोदरा, गुजरात 23 वर्षीय सलमान वोहरा की क्रिकेट मैच देखते समय पीट-पीटकर हत्या कर दी गई।
लिंचिंग 7 जून रायपुर, छत्तीसगढ़ मवेशियों को ले जाते समय तीन मुस्लिम व्यक्तियों पर भीड़ ने हमला कर दिया; दो की मौके पर और एक की बाद में मृत्यु हो गई।
लिंचिंग 18 जून अलीगढ़, उत्तर प्रदेश औरंगजेब उर्फ फरीद की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई, जिससे सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया।
हत्या 24 जून दांतेवाड़ा, छत्तीसगढ़ ईसाई धर्म अपनाने पर एक महिला की हत्या कर दी गई।
लिंचिंग 28 जून कोलकाता, पश्चिम बंगाल कोलकाता में इरशाद आलम और प्रसेन मंडल की भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई।
सांप्रदायिक झड़प 15 जून मेडक, तेलंगाना गाय परिवहन को लेकर झड़पें, मिनहाज उल उलूम मदरसा और एक स्थानीय अस्पताल पर हमला।
सांप्रदायिक झड़प 17 जून बालासोर और खोरधा, ओडिशा गोहत्या के आरोप में झड़पें, खोरधा में घरों में तोड़फोड़।
सांप्रदायिक झड़प 22 जून जालोरी, जोधपुर धार्मिक झंडों को लेकर झड़प; चार पुलिसकर्मियों सहित 16 लोग घायल।
सांप्रदायिक झड़प 21 जून सूर सागर, जोधपुर ईदगाह के पास गेट के निर्माण को लेकर हिंसा; दुकान में आग लगा दी गई, दो वाहन क्षतिग्रस्त।
भीड़ हिंसा 19 जून नाहन, हिमाचल प्रदेश जानवर की क़ुर्बानी की तस्वीर साझा करने पर कपड़ा दुकान में लूटपाट और तोड़फोड़, मुस्लिम दुकानदार शहर छोड़कर भागे।
विध्वंस जून मंडला, मध्य प्रदेश गौमांस रखने के बहाने घरों को ध्वस्त कर दिया गया; दावा किया गया कि ये सरकारी जमीन पर बने हैं।
विध्वंस 16 जून जावरा, रतलाम, मध्य प्रदेश मंदिर को अपवित्र करने के आरोप में चार मुस्लिम व्यक्तियों को हिरासत में लेने के बाद उनके घरों को ध्वस्त कर दिया गया।
विध्वंस जून लखनऊ, उत्तर प्रदेश अकबरनगर इलाके में बड़े पैमाने पर तोड़फोड़।
मुठभेड़ 25 जून नौगांव, असम असम के लाओखोवा वन्यजीव अभयारण्य में वन रक्षकों द्वारा दो मुसलमानों की फर्जी मुठभेड़
हत्या 27 जून, 2024 बरेली यूपी: स्ट्रीट वेंडर ने दिनदहाड़े ग्राहक का गला काटा
नफरती भाषण 21 जून 2024 संगम विहार, दिल्ली भाजपा नेता ने दी दो लाख मुसलमानों को मारने की धमकी
घृणा अपराध 30 जून मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश 25 वर्षीय डॉ. इस्तेखार पर कथित तौर पर हिंदुत्व समूहों से जुड़ी भीड़ ने बेरहमी से हमला किया। यह हमला 30 जून को हुआ जब डॉ. इस्तेखार अपने क्लिनिक से घर लौट रहे थे और डबल गेट ब्रिज के पास पेट्रोल पंप पर ईंधन भरने के लिए रुके थे।
घृणा अपराध 30 जून भटकल, कर्नाटक एक मुस्लिम व्यक्ति ने आरोप लगाया कि बस में सह-यात्रियों ने उसकी धार्मिक पहचान जानने के बाद उसके साथ मारपीट की।
लिंचिंग 30 जून कोडरमा, झारखंड रघुनियाडीह के इमाम मौलाना सहाबुद्दीन को उस समय भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला जब वह बाइक से घर लौट रहे थे। भीड़ ने उन पर सड़क पर एक महिला को टक्कर मारने का आरोप लगाया और उन्हें बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला।
हिंसा 3 जुलाई बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश तंजीम और फैजान कार्बोनेट बदलने के लिए संतलाल की दुकान पर गए थे। वहां दुकानदार ने मना कर दिया। विरोध करने पर भीड़ ने दोनों भाइयों की बुरी तरह पिटाई कर दी।
भीड़ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, बल्कि पीटे गए दोनों भाइयों को सीआरपीसी-151 (शांति भंग) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया।
घृणा प्रेरित भाषण 1 जुलाई देहरादून, उत्तराखंड उत्तराखंड के देहरादून में हिंदुत्व समूहों के सदस्यों ने सोमवार को एक मुस्लिम वकील के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, जो विवाह पंजीकरण के दौरान एक अंतरधार्मिक जोड़े का प्रतिनिधित्व कर रहा था। उन्होंने भड़काऊ नारे लगाए “गोली मारो सालों को”।