22 फरवरी को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में माधी ग्राम सभा ने मुस्लिम व्यापारियों को कनिफनाथ यात्रा से रोकने का प्रस्ताव पारित किया है , जिससे कानूनी और संवैधानिक चिंताएं पैदा हो गई हैं। इस प्रस्ताव के बाद जिला प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है।
मढ़ी में कनिफनाथ मंदिर में आयोजित 700 साल पुरानी परंपरा कनिफनाथ यात्रा में विभिन्न समुदायों के व्यापारी आते हैं। अहमदनगर से 50 किलोमीटर दूर स्थित कनिफनाथ मंदिर लंबे समय से कई खानाबदोश समुदायों के लिए एक आध्यात्मिक केंद्र रहा है। हालांकि, हाल के दशकों में, हिंदुत्व संगठनों ने एक विशेष हिंदू धार्मिक स्थल के रूप में इसकी पहचान को फिर से परिभाषित करने की कोशिश की है।
प्रस्ताव के लिए दबाव बनाने वाले सरपंच संजय मार्कड का दावा है कि मुस्लिम व्यापारी त्योहार के दौरान मनाए जाने वाले रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों का पालन नहीं करते हैं।
उन्होंने दावा किया, “यात्रा शोक मनाने का समय होता है। इस दौरान लोग तला हुआ खाना खाने, शादी-ब्याह करने और यहां तक कि बाल कटवाने से भी परहेज करते हैं। मुस्लिम व्यापारी इन परंपराओं से वाकिफ हैं, लेकिन उनका पालन नहीं करना चाहते, इसलिए उन्हें यात्रा का हिस्सा नहीं बनने दिया जाना चाहिए।”
कानूनी विशेषज्ञों ने इस प्रस्ताव को असंवैधानिक बताते हुए इसकी निंदा की है तथा तर्क दिया है कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
इस मामले पर एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि, महाराष्ट्र के एक ग्राम सभा ने मुस्लिम व्यापारियों को एक स्थानीय यात्रा में दुकान लगाने पर रोक लगा दी है। सामाजिक बहिष्कार संविधान के अनुच्छेद 17 के तहत छुआछूत का रूप है। यह सामाजिक बहिष्कार और भी निंदनीय है क्योंकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ख़ुद इसे सही ठहरा रहे हैं। अगर यह प्रतिबंध धार्मिक आस्थाओं का पालन ना करने की वजह से है, तो यह सामान्य रूप से लागू क्यों नहीं किया जा सकता? मुसलमानों पर ही क्यों?
मोदी का वक्फ बिल यह कहता है कि केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्य होने चाहिए, जबकि वक्फ एक इस्लामी मसला है और मुसलमानों का अधिकार है इसे अनुच्छेद 26 के तहत प्रशासन करने का। गैर-मुसलमान वक्फ संपत्तियों को किराए पर ले सकते हैं, और बहुत से लोग ऐसा करते हैं। पर यहाँ तो एक यात्रा में कुछ दिन के लिए मुसलमानों को दुकान लगाने पर भी बैन लगा दिया गया है।