उत्तरी कश्मीर के बारामूला में कथित तौर पर भारतीय सेना द्वारा एक कश्मीरी नागरिक की इसलिए हत्या कर दी गई क्योंकि वह सुरक्षा चौकी पर नहीं रुका था।
यह घटना बुधवार देर रात की है, जब सेब की पेटियाँ लेकर जा रहे एक ट्रक को सुरक्षा बलों द्वारा लगाए गए नाके (चेकपॉइंट) पर रुकने का इशारा किया गया। अधिकारियों ने बताया कि कथित तौर पर JK 03 G2567 नंबर प्लेट वाले वाहन ने रुकने के आदेश का पालन नहीं किया।
जिसके बाद सेना ने उस ट्रक का पीछा किया और लगभग 23 किलोमीटर बाद संग्रामा चौक पर उसको रोक लिया. सुरक्षा बलों ने दावा किया है कि उन्होंने वाहन के टायरों को निशाना बनाकर गोलियां चलायीं थी।
मकतूब मीडिया कि रिपोर्ट के मुताबिक़, एक अधिकारी ने पीड़ित की पहचान वसीम अहमद मीर के रूप में की है जो बारामूला के सोपोर में गोरीपोरा बोमई का निवासी अब्दुल मजीद मीर का पुत्र था।
घटना के दौरान वसीम को चोटें आईं और बारामुल्ला स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) में पहुंचने पर उसे मृत घोषित कर दिया गया।
सेना के अधिकारियों ने घटना को स्वीकार करते हुए एक बयान जारी किया, जिसमें बताया गया कि गोलीबारी वाहन को रोकने का प्रयास था, क्योंकि उसने कथित तौर पर कई चेतावनियों को अनदेखा किया था। बयान में विस्तार से बताया गया कि सेना ने ट्रक का पीछा किया और उसे सुरक्षित रूप से रोकने के प्रयास में उसके टायरों पर गोली चलाई।
इस घटना को लेकर पीडीपी नेता इल्तिजा मुफ्ती ने सेना के कथन को सार्वजनिक रूप से चुनौती देते हुए कहा कि, यह कितना अजीब है कि 23 किलोमीटर से ज़्यादा समय तक ट्रक का पीछा करने के बाद भी वे टायरों पर गोली चलाने का दावा करते हैं, लेकिन किसी तरह से गोली उस पर नहीं चली।
क्या कश्मीरियों की जान इतनी सस्ती है? आप कब तक हर किसी पर शक की सुई घुमाकर इस बेलगाम दंडहीनता को उचित ठहराते रहेंगे?