राजा जब अपनी प्रजा से भेदभाव करने लगता है तो राज सिंहासन खतरे में पड़ जाता है। केजरीवाल सरकार पहले दिन से ही दिल्ली के नागरिकों के साथ धर्म के नाम पर भेदभाव कर रही है।
एआईएमआईएम दिल्ली अध्यक्ष कलीमुल हफीज़ के अनुसार निर्भया कांड पर आसमान सर पर उठाने वाले और शीला दीक्षित का इस्तीफ़ा मांगने वाले राबिया के नाम पर चुप हैं। वह इस्तीफ़ा क्यों नहीं देते?
प्रवेश कुमार को एक करोड़ देने वाले राबिया से दस लाख का वादा कर रहे हैं। क्या इंसाफ और मुआवज़ा भी अब धर्म की बुनियादों पर दिया जाएगा? खुद को सच्चा सेक्यूलर कहने वाले केजरीवाल का सांप्रदायिक चेहरा बेनक़ाब हो गया है।
कलीमुल हफीज़ ने कहा कि सिविल डिफेंस में काम करने वाले प्रवेश कुमार की ड्यूटी के दौरान एक्सीडेंट में मौत हो गई थी यह घटना सितंबर 2020 की है केजरीवाल सरकार ने अपनी सरकार की पॉलिसी के अनुसार एक करोड़ का चेक प्रवेश के घर वालों को दिया था।
ठीक एक साल बाद सिविल डिफ़ेंस की महिला कर्मचारी राबिया को ड्यूटी के दौरान अपहरण किया गया उसके साथ सामुहिक बलात्कार किया गया और उसके बाद उसकी निर्मम हत्या कर दी गयी। उसके जिस्म का कोई हिस्सा सलामत नहीं रहा। राबिया के घरवालों से 10 लाख का वादा किया जा रहा है सवाल यह है कि जब दोनों एक ही विभाग में काम करते थे दोनों के मुआवज़े में भेदभाव क्यों किया जा रहा है?
इसका मतलब इसके सिवा क्या है कि राबिया मुसलमान है और केजरीवाल के नज़दीक मुसलमान होना जुर्म है। मुसलमान दूसरे दर्जे के नागरिक हैं। केजरीवाल इससे पहले भी कई बार मुसलमानों के साथ भेदभाव कर चुके हैं।
उन्होंने दिल्ली दंगों में भी मुसलमानों के हत्यारों की पीठ थपथपाई है। उन्होंने कोरोना काल में जमाअतियों को बदनाम किया है। जब तक राबिया को एक करोड़ का मुआवज़ा नहीं मिल जाता। दिल्ली मजलिस ख़ामोश नहीं रहेगी।
मजलिस इससे पहले अमित राणा के लिए आवाज़ उठा चुकी है कलीमुल हफ़ीज़ ने कहा कि राबिया का मामला प्रवेश से भी ज्यादा संगीन है। इसलिए कि वह महिला है, प्रवेश की सिर्फ जान गई है। राबिया की इज़्ज़त लूटी गई है, प्रवेश का एक्सीडेंट हुआ था, राबिया को अगवा करके क़त्ल किया गया है।
मजलिस अध्यक्ष ने कहा कि दिल्ली पुलिस और सिविल डिफेंस के ज़िम्मेदार केजरीवाल के निर्देश पर राबिया के घर वालों को धमका रहे हैं। मजलिस अध्यक्ष ने केंद्रीय गृहमंत्री की ख़ामोशी पर भी सवाल किया है उनकी तरफ़ से अब तक कोई बयान क्यों नहीं आया? बल्कि उनकी पुलिस क़ातिलों को पकड़ने के बजाय उन को बचाने और मामले को आपसी रंजिश का रंग देने में लगी है।
कलीमुल हफ़ीज़ ने कहा कि सरकार के मुस्लिम विधायक की मर्यादा कहां मर गई है कि उनकी एक बहन की इज़्ज़त लूटी जाती है और हत्या कर दी जाती है लेकिन उनका दिल नहीं लरज़ता।
मजलिस अध्यक्ष ने सवाल किया दिल्ली सरकार के मंत्री इमरान हुसैन किस मुंह से दस लाख का वादा लेकर राबिया के घर पहुंच गए। उन्होंने अपने मुखिया से इंसाफ़ की मांग क्यों नहीं की। क्या मुस्लिम विधायकों को इसी दिन के लिए मुसलमानों ने वोट दिया था। उन्हें यह याद रखना चाहिए कि वह मुसलमानों के वोट से विधायक और मंत्री बने हैं अगर उन्होंने अपनी सरकार से मुसलमानों को इंसाफ़ दिलवाने में ज़रा भी लापरवाही की तो मुसलमान उन्हें दूध में से मक्खी की तरह निकाल कर फेंक देंगे।
मजलिस अध्यक्ष ने मांग की हैं कि अरविंद केजरीवाल खुद जाकर राबिया के परिवार को एक करोड़ का चेक दें,उनके परिवार में से किसी को नौकरी दें, हत्या की जांच सीबीआई से कराई जाए और हत्यारों को जल्द से जल्द सज़ा के आख़री अंजाम तक पहुंचाया जाए।
ज्ञात रहे कि दिल्ली मजलिस की तरफ़ से 31 अगस्त को संगम विहार में धरना दिया गया। जुमे की नमाज़ के बाद जामा मस्जिद दिल्ली पर प्रदर्शन किया गया। दिल्ली के विभिन्न इलाकों में कैंडल मार्च निकाले जाने का सिलसिला जारी है। मजलिस अध्यक्ष ने राबिया के परिजनों को यक़ीन दिलाया। इंसाफ़ मिलने तक मजलिस इस मामले को पूरे संवैधानिक तरीके से उठाती रहेगी।