कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो हम तक नहीं पहुंच पाती हैं. लेकीन वो घटनाएं बहुत खौफनाक होती हैं. ऐसी ही एक घटना मध्य प्रदेश की हैं. जहां पर मुस्लिम समाज के लोग घटना के 5 महीने बाद भी डर और खौफ के साएं में जी रहें हैं।
बड़वानी ज़िले के बोरले गांव में 19 अप्रैल 2021 को एक मुस्लिम लड़का हिंदू लड़की के साथ भाग गया. जिसके बाद गांव के बहुसंख्यक समाज के लोगों ने मुसलमानो को फ़ोन करके लड़की के बारे में बताने के लिए कहा।
बहुसंख्यक समाज के लोगों ने गांव के मुसलमानो को 24 घंटे का समय देते हुए कहा कि अगर 24 घंटे में लड़की नहीं आई तो एक भी मुसलमान नहीं बचेगा।
बोरले गांव में लगभग 6 हज़ार की आबादी हैं जिनमें से 40 के आसपास मुस्लिम समुदाय के लोगों के घर हैं. जिनमें से ज्यादातर मज़दूर हैं. बहुसंख्यक समाज के लोगों की धमकी से गांव के सभी मुसलमान डर गए तथा घर से बाहर नहीं निकले।
बहुसंख्यक समाज ने 24 घंटे का समय पूरा होने से पहले ही मुसलमानो के घरों, मस्जिद और कब्रिस्तान पर हमला बोल दिया. तथा मुसलमानो को गांव से भागने के लिए मजबूर कर दिया।
हालांकि लड़की-लड़के को उसी दिन पकड़ लिया था. जिसके बाद लड़की को उसके घर भेज दिया तथा लड़के को ग्रामीणों ने पीटा फिर जेल में डलवा दिया।
घटना के अगले दिन गांव के बहुसंख्यक समाज के लोगों ने मस्जिद पर ताला लगा दिया तथा लाउडस्पीकर को नीचे उतार दिया। तथा धमकी देते हुए कहा कि अगर किसी ने मस्जिद का ताला खोलने की हिम्मत की तो उसका अंजाम बहुत बुरा होगा।
मस्जिद के ईमाम और उनकी पत्नी तथा एक अन्य बाहरी व्यक्ति को ग्रामीणों ने अपमानित करके भगा दिया।
घटना के बाद कई दिनों तक मस्जिद में अज़ान और नमाज़ नहीं हुई. जब इसकी जानकारी पुलिस को दी तो पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ़ तथा नमाज़ के खिलाफ़ प्रीतिबंध के मामले में एफआईआर दर्ज़ कर ली।
बोरले गांव के मुसलमानो का कहना हैं कि “इस घटना के महीनों बीत जानें के बाद भी गांव के बहुसंख्यक समाज के लोग मस्जिद के गेट पर पेशाब करते हैं तथा थूकते हैं. तथा मुसलमानो के खिलाफ़ अपमानजनक टिप्पणी करते हैं।”
A local alleged that even after months of incident, majority community men urinate, spit on Mosque's gate & hurl abusive remarks against Muslims.
They not only beat anyone they want but have also burnt a handcart of Muslim vendor for no reason recently. It's a common thing here. pic.twitter.com/w1bpBT700W
— काश/if Kakvi (@KashifKakvi) October 13, 2021
स्थानीय लोगों के अनुसार “बहुसंख्यक समाज के लोग अपनी मर्ज़ी से किसी को भी मुस्लिम को पीट देते हैं. तथा मुस्लिमो के ठेले जला देते हैं. जो अब आम बात हो चुकी हैं।
घटना के बाद पुलिस ने एक बैठक बुलाई थीं जिसमें 100 लोगों की भीड़ ने 5 मुसलमानो से जबर्दस्ती एक बॉन्ड पर हस्ताक्षर करवा लिए थे।
बॉन्ड में लिखा था कि किसी बाहरी व्यक्ति को इमाम नहीं बनाया जाएगा, नमाज के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं होगा, किसी भी घटना के लिए समाज जिम्मेदार होगा, कोई बाहरी व्यक्ति उनकी मदद नहीं करेगा।
गांव के मुसलमानो का कहना है कि हमनें कलेक्टर और एसपी से कई बार शिकायतें की हैं. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। घटना के पांच महीने बाद भी अज़ान और मस्जिद पर प्रतिबंध जारी है. तथा मुस्लिम समाज के लोग भय की स्थिति में रहते हैं।
ज़िला प्रशासन स्थिति को सामान्य बनाने के लिए कुछ भी प्रयास नहीं कर रहा हैं।