नेशनल मिशन फॉर यूनिटी एंड ब्रदरहुड (एनएमयूबी) ने नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की।
इस बैठक का एजेंडा कश्मीर और कश्मीर के बाहर रहने वाले कश्मीरी लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देना और स्थानीय नेताओं, कार्यकर्ताओं, समुदाय के प्रतिनिधियों और विभिन्न समूहों सहित प्रमुख प्रतिभागियों की पहचान करना था।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कश्मीर में खुली चर्चा के लिए एक वातावरण बनाने के अलावा सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक और मनोरंजक गतिविधियों के माध्यम से समुदायों को शामिल करना है।
इस मौक़े पर उपस्थित लोगों ने ने कश्मीरी लोगों के अधिकारों और पहचान की रक्षा के लिए एक दबाव समूह के रूप में काम करने, विभिन्न हितधारकों के बीच की खाई को पाटने और शांति और सद्भाव के लिए काम करने वालों का समर्थन करने की योजना बनाई।
उपस्थित लोगों ने एनएमयूबी के अध्यादेश के तहत कानूनी, संसाधन जुटाने और मीडिया संबंधों पर उप-समितियों के गठन पर भी चर्चा की गई।
संगठन ने जम्मू और कश्मीर में नव निर्वाचित सरकार से अपने चुनावी वादों को पूरा करने की भी मांग की. वक्ताओं ने कहा कि चुनाव के दौरान और उसके बाद भी नव निर्वाचित मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने घाटी में कश्मीरी पंडितों के लिए बेहतर जीवन और सुरक्षा का आश्वासन दिया है।
मुख्य वक्तव्य राकेश सप्रू (संस्थापक और संयोजक एमएनयूबी) ने देते हुए कहा कि, हम राज्य और केंद्र सरकारों से कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास में तेजी लाने का अनुरोध करेंगे। हम लोगों, कार्यकर्ताओं, सरकारी एजेंसियों और हितधारकों के साथ जुड़ेंगे।”
प्रोफेसर रवि जुत्शी ने कहा, हमें भारतीय राष्ट्रवाद को बढ़ावा देते हुए अपनी सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करना चाहिए। कश्मीरी को आधिकारिक राज्य भाषा बनाया जाना चाहिए, और हमारे सांस्कृतिक स्थानों, इतिहास और संबंधों को बहाल किया जाना चाहिए। व्यक्तिगत लालच को सामान्य भलाई पर हावी नहीं होना चाहिए।
कश्मीर पर भारत सरकार के पूर्व वार्ताकार एम.एम. अंसारी ने कहा, शांति के प्रयास जारी रहने चाहिए। नई राज्य सरकार को कश्मीरी लोगों के अधिकारों को बहाल करने और विश्वास की कमी को कम करने के लिए हितधारकों को शामिल करना चाहिए।
अन्य प्रमुख उपस्थितजनों में रमेश सप्रू, सुषमा भट, एम.एम. मलिक, सैयद ज़ैग़म मुर्तज़ा, शेख मंज़ूर, कमल चौधरी, प्रभु राज़दान, डॉ. सुषमा गणेश पांडे, डॉ. वी.के. गौतम, शन्मुखन नारायणन, अकांश गुप्ता और श्रीमती रुक्मा दत्ता शामिल थे। बैठक का समापन क्षेत्र में एकता और भाईचारे के प्रयासों को जारी रखने की प्रतिबद्धता के साथ हुआ।