जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र नजीब अहमद का 7 साल बाद भी कोई सुराग़ नहीं मिल पाया हैं, उस मां की निगाहें आज भी नजीब को तलाश कर रहीं हैं मगर ये देश और इसका प्रशासन उसको पूरी तरह से भूल चुका हैं।
जेएनयू में MSC बायोटेक्नोलॉजी प्रथम वर्ष के छात्र नजीब अहमद को RSS की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्यों द्वारा दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में उसके छात्रावास के बाहर से ‘अपहरण और गायब’ करने का आरोप हैं।
जानकारी के मुताबिक़ नजीब का एबीवीपी के कार्यकर्ताओं से झगड़ा हुआ था जिसके बाद से ही वह गायब हैं. इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस, विशेष जांच दल, दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा और CBI सहित देश की शीर्ष जांच एजेंसियों द्वारा की गई थी।
हालाँकि इनमें से कोई जांच एजेंसी जेएनयू कैंपस से गायब नजीब का 7 साल बाद भी कोई पता नहीं लगा सकीं. नजीब की मां का कहना है कि राज्य द्वारा मुस्लिम युवाओं को बेवजह जेल में डालकर या उन पर केस डालकर गायब किया जा रहा है।
सैकड़ों मुस्लिम युवा बिना किसी अपराध के जेल में बंद हैं, नजीब को शामिल करने से यह संख्या और बढ़ जाएगी. भारत में मुस्लिमों की जान की कोई कीमत नहीं है।
मकतूब मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़, नजीब के पिता का कहना हैं कि, मैं अपने घर के बाहर तीनों बेटों के नाम की नेमप्लेट लगाना चाहता हू ताकि जब नजीब घर लौटें तो वह बदायूँ स्थित अपने घर को आसानी से पहचान सकें।