वर्ल्ड प्रेस फ़्रीडम डे के मौके पर अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार राणा अय्यूब द्वारा संयुक्त राष्ट्र में दिए गए भाषण की जमकर तारीफ़ हो रहीं हैं. विदेशी पत्रकार एवं सोशल एक्टिविस्ट भी राणा अय्यूब के भाषण की सराहना कर रहें हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भाषण देते हुए राणा अय्यूब ने भारत में गिरती प्रेस की स्वतंत्रता, अल्पसंख्यक, दलित एवं पत्रकारों पर बढ़ते हुए हमलों का जिक्र किया तथा वैश्विक समुदाय का इस ओर ध्यान आकर्षित कराया।
राणा अय्यूब ने कहा कि, हमारे पास एकमात्र विकल्प सत्ता के सामने सच बोलना है, चुनौतियों के संदर्भ में वह कहती हैं कि हमें भारत और वहां गिरती प्रेस की स्वतंत्रता के बारे में अधिक बात करनी चाहिए।
पत्रकार होने के नाते इससे अधिक कठिन समय कभी नहीं रहा, मैं भारत से आती हूं, यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, लेकिन दुनिया जो नहीं देखती वह मुसलमानों और निचली जातियों पर हमले हैं. यही कारण है कि भारतीय पत्रकारों को जोर से और स्पष्ट बोलने की जरूरत है।
राणा अय्यूब ने गौरी लंकेश की हत्या का ज़िक्र करते हुए कहा कि, आजकल ऑनलाइन खतरों को ऑफ़लाइन हिंसा में बदला जा रहा हैं, इसका उद्देश्य आपको बदनाम करना है ताकि जब आपको गोली मारी जाए तब दुनिया को आपकी ज्यादा परवाह नहीं हो।