दुनियाभर में मुसलमानों के प्रति बढ़ती नफ़रत एवं हिंसा को देखते हुए पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र (UN) में इस्लामोफोबिया दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था. जिसको 65 देशों की मंजूरी से पास करवा लिया।
पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने कहा कि इस्लामोफोबिया एक सच्चाई है जो लगातार बढ़ रहा है. इसलिए इसे दूर किया जाना चाहिए।
मुसलमानों के प्रति भेदभाव, शत्रुता और हिंसा मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हैं. इसलिए हम 15 मार्च को अंतरराष्ट्रीय इस्लामोफोबिया दिवस मनाने की मांग करते हैं।
पाकिस्तान की इस मांग को इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के 57 देशों के साथ साथ चीन और रूस सहित आठ अन्य देशों का समर्थन प्राप्त हुआ. जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।
संयुक्त राष्ट्र में राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए कहा कि, हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और सिखों के खिलाफ भी डर का माहौल बढ़ रहा है. क्या इस्लामोफोबिया पर प्रस्ताव पारित होने के बाद अन्य धर्मों पर भी इसी तरह के प्रस्ताव पारित किए जा सकते हैं? मुझे लगता हैं कि संयुक्त राष्ट्र एक धार्मिक मंच बन सकता है।