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प्रसिद्ध समाजसेविका रेशमा यासमीन अली द्वारा आयोजित कव्वाली कार्यक्रम में शामिल हुई देश की प्रमुख हस्तियां!

नई दिल्ली | हज़रत निज़ामुद्दीन स्थित चिला शरीफ में एक भव्य कव्वाली समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें देश की प्रमुख हस्तियां सम्मिलित हुईं। यह कार्यक्रम दिल्ली की प्रसिद्ध समाजसेविका रेशमा यासमीन अली द्वारा आयोजित किया गया, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार, नई दिल्ली लोकसभा की सांसद बांसुरी स्वराज, कुछ प्रमुख अधिकारी, प्रतिष्ठित पत्रकार, एवं फैशन डिजाइनर शामिल हुए।

यह आयोजन भारतीय संस्कृति और सूफियाना संगीत की समृद्ध परंपरा को बढ़ावा देने के लिए किया गया था। इस दौरान सूफी ब्रदर्स ने अपने सुरमयी अंदाज में कव्वाली प्रस्तुत की, जिससे श्रोताओं ने मंत्रमुग्ध होकर संगीत का आनंद लिया। इस कार्यक्रम में सूफियाना कलाम और प्रेम, शांति एवं आध्यात्मिकता से ओतप्रोत संगीत प्रस्तुत किया गया, जिसने दर्शकों के मन में एक अनूठी छाप छोड़ी।

कार्यक्रम की विशेषताएं

  1. सूफियाना कव्वाली का जादू – प्रसिद्ध कव्वाली समूह “सूफी ब्रदर्स” द्वारा गाई गई कव्वालियों ने माहौल को भक्तिमय बना दिया। उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए सूफी गीतों में “छाप तिलक सब छीनी”, “दमादम मस्त कलंदर”, और “भर दो झोली मेरी” जैसे लोकप्रिय गीत शामिल थे, जिन्हें सुनकर उपस्थित लोग झूम उठे।
  2. प्रमुख हस्तियों की मौजूदगी – इस कार्यक्रम में कई जानी-मानी हस्तियां उपस्थित रहीं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने सूफी संगीत की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह संगीत आपसी भाईचारे और सांस्कृतिक समरसता का संदेश देता है। वहीं, सांसद बांसुरी स्वराज ने भारतीय संगीत की विविधता की सराहना करते हुए कहा कि कव्वाली हमारी आध्यात्मिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  3. संस्कृति और परंपरा का संगम – इस आयोजन में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े प्रतिष्ठित व्यक्ति उपस्थित थे, जिनमें प्रशासनिक अधिकारी, पत्रकार, फैशन डिजाइनर और समाजसेवी शामिल थे। कार्यक्रम ने दिल्ली की गंगा-जमुनी तहज़ीब और कला-संस्कृति को जीवंत किया।

रेशमा यासमीन अली का योगदान

रेशमा यासमीन अली, जो एक प्रसिद्ध समाजसेविका हैं, ने इस कार्यक्रम के आयोजन की पहल की। उन्होंने कहा कि कव्वाली केवल संगीत नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है जो हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है। उन्होंने आगे कहा, “इस तरह के आयोजनों से समाज में प्रेम, एकता और सद्भाव का संदेश जाता है। कव्वाली की यह महफिल हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का एक प्रयास है।”

समारोह का प्रभाव

इस कव्वाली महफिल ने उपस्थित सभी दर्शकों को भावविभोर कर दिया। कई लोगों ने कहा कि इस तरह के आयोजन आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाने और समाज को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कार्यक्रम के अंत में आयोजकों और प्रमुख अतिथियों ने सूफी संगीत को बढ़ावा देने के लिए इस प्रकार के और अधिक आयोजनों की आवश्यकता पर बल दिया। उपस्थित दर्शकों ने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए आयोजकों की सराहना की और भविष्य में ऐसे और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की उम्मीद जताई।

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