ऑपरेशन सिंदूर और देश में उत्पन्न हुई आपात स्थिति को देखते हुए 16 मई तक स्थगित किए गए “तहफ़्फ़ुज़-ए-अवक़ाफ़ मुहिम” (वक्फ़ संपत्तियों की सुरक्षा अभियान) के सार्वजनिक कार्यक्रम अब फिर से बहाल कर दिए गए हैं।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के राष्ट्रीय प्रवक्ता और ऑल इंडिया तहफ़्फ़ुज़-ए-अवक़ाफ़ कमेटी के संयोजक डॉ. सैयद क़ासिम रसूल इलयास ने एक प्रेस बयान में कहा है कि सेंदूर ऑपरेशन और उसके परिणामस्वरूप उत्पन्न हुई आपात स्थिति के चलते बोर्ड द्वारा आयोजित होने वाले कार्यक्रमों — सार्वजनिक सभाएं, धरने और रैलियां — को स्थगित कर दिया गया था। अब अल्हम्दुलिल्लाह, ये कार्यक्रम आज से दोबारा शुरू हो गए हैं।
हालाँकि, इस अवधि में इनडोर कार्यक्रम, जैसे कि सिविल सोसाइटी के साथ राउंड टेबल बैठकें, इंटर-फेथ मीटिंग्स, प्रेस कॉन्फ्रेंस और कलेक्टर या डीएम के माध्यम से राष्ट्रपति को सौंपे गए ज्ञापन का सिलसिला सामान्य रूप से जारी रहा।
इस महीने देश के विभिन्न राज्यों के कई प्रमुख शहरों में जनसभाएं, राउंड टेबल मीटिंग्स और महिलाओं के लिए बड़े-बड़े आयोजन आयोजित किए जा रहे हैं।
संयोजक के अनुसार, निम्नलिखित शहरों में आयोजित होने वाले कार्यक्रम इस प्रकार हैं:
राज्य: तेलंगाना
हैदराबाद:
- 18 मई: राउंड टेबल मीटिंग — जिसमें शहर के कई प्रमुख राजनीतिक नेता, बुद्धिजीवी और सिविल सोसाइटी के महत्वपूर्ण लोग शामिल होंगे।
- 22 मई: महिलाओं के लिए जनसभा — इसमें बोर्ड के पदाधिकारी, सांसद, सिविल सोसाइटी की महिलाएं और महिला विंग्स की संयोजिकाएं भाषण देंगी। पूरे शहर से लगभग एक लाख महिलाओं की भागीदारी की उम्मीद है।
वरंगल:
- 20 मई: एक बड़ी आमसभा का आयोजन — जिसमें कई राजनीतिक और गैर-राजनीतिक हस्तियां भाग लेंगी। इसमें एक लाख से अधिक लोगों की भागीदारी संभावित है।
निज़ामाबाद: - 30 मई: यह तेलंगाना के पूर्वी जिले का प्रमुख शहर है। यहां भी एक जनसभा का आयोजन होगा, जिसमें पूरे जिले से बड़ी संख्या में लोग शामिल होंगे।
राज्य: महाराष्ट्र
जलगांव:
- 23 मई: खंडेश क्षेत्र का प्रमुख शहर — यहां एक सार्वजनिक बैठक का आयोजन होगा। 70 से 80 हज़ार लोगों की भागीदारी संभावित है।
नांदेड़:
- 24 मई: मराठवाड़ा का प्रमुख शहर — यहां एक बड़ी सभा की तैयारियाँ ज़ोर-शोर से चल रही हैं। इस सभा में हिंदू और सिख भाइयों की भागीदारी भी अपेक्षित है, और वक्ताओं में भी इन समुदायों की प्रतिनिधित्व होगा।
औरंगाबाद:
- 25 मई: मराठवाड़ा का केंद्रीय शहर — यह राजनीतिक और शैक्षणिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। अनुमान है कि यह सभा अब तक की सभी सभाओं का रिकॉर्ड तोड़ देगी। 2 लाख से अधिक लोगों की भागीदारी की संभावना है।
राज्य: बिहार
बिहार के कई शहरों में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की हिदायत पर “इमारत-ए-शरीया बिहार-ओडिशा” तथा अन्य मुस्लिम संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
इन शहरों में पटना, अररिया, किशनगंज, भागलपुर, बेगूसराय, सहरसा, मधुबनी, सिवान और दरभंगा विशेष रूप से शामिल हैं।
यह राज्य इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ आगामी तीन-चार महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। संभावना है कि ये कार्यक्रम चुनाव परिणामों पर भी प्रभाव डाल सकते हैं।
इन प्रमुख कार्यक्रमों के अलावा, अन्य राज्यों — जैसे कि केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, झारखंड और पश्चिम बंगाल — में भी बड़े पैमाने पर कार्यक्रमों की तैयारियाँ फिर से शुरू हो गई हैं, जो देश की स्थिति के कारण स्थगित हो गए थे।
संयोजक ने कहा कि इन कार्यक्रमों के माध्यम से एक ओर सरकार द्वारा फैलाए गए भ्रम को दूर करने का अवसर मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर मुसलमानों को भी सरकार के खतरनाक इरादों का एहसास हो रहा है। साथ ही, संविधान विरोधी और विभाजनकारी संशोधनों को रद्द कराने के लिए जनमत तैयार हो रहा है और जनता में बेचैनी और चिंता भी बढ़ रही है।
डॉ. इलयास ने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट न केवल संविधान-विरोधी संशोधनों को समझेगा, बल्कि सरकार की मुस्लिम विरोधी मंशा को भी पहचानेगा और आवश्यक कदम उठाएगा। हमें भरोसा है कि 20 मई को सर्वोच्च न्यायालय कई संशोधनों पर अंतरिम राहत देगा।