स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन (SIO) ने वक्फ बिल को सख़्ती से ख़ारिज करती है कहा है कि यह मुसलमानों की धार्मिक संस्थाओं पर सरकार द्वारा प्रायोजित हमला है।
इस बिल के जरिए वक़्फ़ की स्वायत्तता को ख़त्म किया जा रहा है, जिससे सरकार खुलकर मुस्लिम धरोहरों को निशाना बना रही है, जबकि अन्य धार्मिक समुदायों के लिए ऐसे ही प्रावधान जस के तस बने हुए हैं।
यह खुला भेदभाव बीजेपी के मुस्लिम कल्याण के झूठे दावों को उजागर करता है और उनकी मुस्लिम विरोधी मानसिकता को दिखाता है, जो संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन है।
लाखों आपत्तियों को नज़रअंदाज किया जाना, यह साबित करता है कि यह बिल सुधार के लिए नहीं बल्कि नियंत्रण और क़ब्ज़े के लिए लाया गया है।
हमारा मानना है कि यह सिर्फ़ एक संशोधन नहीं, बल्कि वक़्फ़ और मुस्लिम अस्तित्व पर हमला है। यह सांप्रदायिक विभाजन को और गहरा करने और मुस्लिम पहचान को मिटाने का प्रयास है। यह भ्रष्टाचार या अतिक्रमण की समस्या का समाधान नहीं करता, बल्कि सरकार को वक़्फ़ संपत्तियों पर क़ब्ज़ा करने का वैधानिक अधिकार देता है।
इतिहास उन लोगों को माफ़ नहीं करेगा जो इस अन्याय में शामिल रहे। सड़कों से लेकर अदालतों तक, मुसलमान अपने धार्मिक अधिकारों को पूरी तरह बहाल करने के लिए हर क़ानूनी, संवैधानिक और लोकतांत्रिक तरीक़े से इसका विरोध करेंगे।