इस्लाम प्यार, मुहब्बत और भाईचारे का धर्म हैं यहां एक ईश्वर की पूजा होती हैं, इन सभी बातों से प्रभावित होकर इस्लाम धर्म अपनाने वाले अब्दुल कादिर उर्फ रविंद्र कुमार सिंह की कहानी विचलित करने वाली हैं।
रविंद्र एक ठाकुर परिवार से था जो ओडिशा में हिंदू सामाजिक-धार्मिक पदानुक्रम में एक उच्च जाति है तथा सीवी रमन कॉलेज में बीएससी कंप्यूटर साइंस का छात्र था. वह अक्सर अपने मुस्लिम दोस्तों को एकेश्वरवाद की अवधारणा पर चर्चा करते हुए देखता था. जिसके बाद उसने वेद एवं कुरान दोनों पढ़े।
कुरान पढ़ने के बाद उनको इस्लामी व्यवस्था और इसकी अवधारणा बहुत पसंद आई. जिसके बाद उन्होंने इस्लाम धर्म अपनाकर नमाज़ पढ़ना और रोजे रखना शुरू कर दिया।
अब्दुल कादिर ने कई महीनों तक अपने परिवार से इस्लाम धर्म अपनाने की बात को छुपाए रखा. एक दिन वह जुम्मा की नमाज़ पढ़कर मस्जिद से टोपी पहनकर लौट रहा था, तभी उनके चाचा ने देख लिया।
जिसके बाद वह बहुत घबरा गया, कादिर का कहना है कि वह इस्लाम के लिए हजरत बिलाल और पैगंबर मुहम्मद साहब के अन्य साथियों के बलिदान और संघर्ष से परिचित थे इसलिए मुझे एहसास हुआ कि अब मेरे लिए बलिदान देने का समय आ गया है।
घर पहुंचते ही कादिर के परिवार ने उसको इस्लाम धर्म छोड़ने के लिए मजबूर किया तथा क्रूरतापूर्वक अत्याचार किया, 4 महीने तक उसको नंगा करके परिजनों द्वारा बारी-बारी से पीटा जाता।
कादिर के मुताबिक, वे मेरे ऊपर पेशाब कर देते थे. मुझे अपना मूत्र पीने के लिए मजबूर करते थे. 4 महीने की यातना के बाद मैं किसी तरह अपनी जान बचा कर भाग गया।
इसके बाद कादिर ने काफ़ी चुनौतियों का सामना करते हुए पढ़ाई की और इस्लामी ज्ञान हासिल किया, वह अब आलिम हैं. इसकी शादी हो चुकी है और दो बच्चे भी हैं।
कादिर अब कई मस्जिदों और मदरसों में भाषण देता है और गुजारा करने के लिए कुछ छोटे व्यवसाय भी चलाता है. लेकिन अब भी पुलिस कभी-कभी उसे पूछताछ के लिए उठा लेती है।