बीएचयू की छात्रा याची की मौत पर बवाल: छात्रों ने उठाए प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल, निष्पक्ष जांच की मांग
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के एमएमवी कॉलेज में स्नातक द्वितीय वर्ष की छात्रा याची की असमय मौत के बाद छात्र-छात्राओं में भारी आक्रोश है। छात्र संगठनों ने आरोप लगाया है कि घटना में प्रशासनिक लापरवाही साफ तौर पर झलकती है और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
जानकारी के अनुसार, 9 अक्टूबर को क्लास के दौरान याची की तबीयत अचानक बिगड़ गई और वह बेहोश होकर गिर पड़ी।
कॉलेज परिसर से सिर्फ 250 मीटर दूरी पर स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल होने के बावजूद एंबुलेंस को मौके पर पहुंचने में करीब आधा घंटा लग गया। छात्रों का कहना है कि याची को काफी देर तक कोई चिकित्सा सहायता नहीं मिली और प्रशासन की तरफ से तत्काल मदद नहीं दी गई।
एमएमवी प्रशासन पर आरोप है कि एंबुलेंस बुलाने की बजाय पहले महिला गार्ड की तलाश की गई, क्योंकि “महिला छात्राओं को पुरुष कर्मचारी नहीं छू सकते।” छात्रों ने इसे “दकियानूसी सोच और खतरनाक लापरवाही” बताया है।
छात्रों ने कहा कि यह घटना पहली बार नहीं हुई है। इससे पहले 11 जुलाई को बीएचयू की ही एक अन्य छात्रा नाज़ुक भसीन की भी अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से मौत हो चुकी है। नाज़ुक को उल्टी होने के बाद कई बार अस्पताल भेजा गया, लेकिन हर बार दवा देकर लौटा दिया गया। आखिरकार उनकी मौत आईसीयू में हुई।
छात्र संगठनों का आरोप है कि हर बार की तरह इस बार भी बीएचयू प्रशासन जवाबदेही तय करने के बजाय सवाल उठाने वाले छात्रों को डराने-धमकाने में लग गया है।
छात्र संगठनों की प्रमुख मांगें:
- याची की मौत की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराई जाए तथा जांच समिति में छात्र प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए।
- एमएमवी और विश्वविद्यालय परिसर के पुराने, भेदभावपूर्ण नियमों को तुरंत हटाया जाए।
- सभी फैकल्टी और छात्रावासों के लिए एंबुलेंस और आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
छात्र संगठन “दिशा छात्र संगठन” ने कहा है कि “हम अपनी दिवंगत साथी याची को वापस नहीं ला सकते, लेकिन ऐसी लापरवाही से भविष्य में किसी और छात्रा की जान न जाए, इसके लिए हमें आवाज उठानी होगी।”

