उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में प्रशासन द्वारा एक मस्जिद और लगभग 80 घरों को अवैध घोषित किए जाने के बाद स्थानीय सांसद जिया उर रहमान बर्क ने इस कार्रवाई की तीखी आलोचना की है।
सांसद ने इसे “जल्दबाज़ी में उठाया गया कदम” बताया और आरोप लगाया कि प्रशासन नागरिकों को “चुनिंदा तरीके से निशाना” बना रहा है।
संभल के हातिम सराय क्षेत्र में प्रशासन ने दावा किया कि एक मस्जिद और करीब 80 घर सरकारी रिकॉर्ड में तालाब के रूप में दर्ज ज़मीन पर बनाए गए हैं। इस आधार पर तहसीलदार धीरेन्द्र कुमार सिंह ने निवासियों को नोटिस जारी करते हुए 15 दिन में जवाब देने का समय दिया। कई घरों पर यह नोटिस चिपकाया भी गया।
नोटिस में कहा गया है कि संबंधित भूमि उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम की धारा 132 के तहत सार्वजनिक उपयोग (तालाब) के लिए दर्ज है, और यदि किसी ने उस पर अनधिकृत कब्जा कर रखा है, तो उसे हटाने और भूमि ग्राम सभा को लौटाने की सिफारिश की गई है।
इस मामले पर सांसद जिया उर रहमान बर्क ने प्रशासन की कार्रवाई को “प्रतिशोधात्मक और अन्यायपूर्ण” बताया। उन्होंने कहा,
“इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि यह इलाका मेरे दफ़्तर से 50 मीटर दूर है या 500 मीटर। मेरे निर्वाचन क्षेत्र के लोग अगर किसी अन्याय का सामना कर रहे हैं, तो मैं उनके साथ हूँ। मैं हर संभव कानूनी लड़ाई उनके लिए लड़ूँगा।”
उन्होंने आगे कहा कि प्रशासन “एक साज़िश के तहत बदला लेने के इरादे से काम कर रहा है” और चेतावनी दी कि ऐसी हरकतें नागरिकों का सरकार पर से भरोसा कम कर देंगी।
स्थानीय लोगों ने भी प्रशासन के दावे पर सवाल उठाए हैं। एक निवासी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा,
“जिन अधिकारियों ने हमारे नक्शे पास किए, बिजली कनेक्शन दिए, वे अब क्यों कह रहे हैं कि हमारे घर अवैध हैं?”
निवासियों का कहना है कि वे वर्षों से इस इलाके में रह रहे हैं और उनके घरों के सारे दस्तावेज़ वैध हैं।