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सूत्र: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट मतदाता सपा-आरएलडी गठबंधन को उन सीटों पर वोट नहीं करेंगे जहाँ प्रत्याशी “मुस्लिम” होगा

हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक टीवी चैनल पर ऐलान किया था कि यह वाला विधानसभा चुनाव 80 फ़ीसदी vs 20 फ़ीसदी की लड़ाई हैं. इस बात की सच्चाई जानने के लिए जब हमने सोशल मीडिया पर हाथ पैर मारे तो पता चला ज़मीन पर यह बात अमल में आ चुकी हैं।

योगी आदित्यनाथ की इस बात का असर गैर भाजपा वोटरों में भी देखा जा रहा हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी (SP) और राष्ट्रीय लोक दल (RLD) ने गठबंधन किया है।

सपा-आरएलडी गठबंधन के तहत सिवालखास विधानसभा सीट आरएलडी के खाते में आई हैं. इसलिए इस सीट पर आरएलडी ने गुलाम मोहम्मद को अपना प्रत्याशी बनाया हैं।

आरएलडी द्वारा इस सीट से गुलाम मोहम्मद को प्रत्याशी बनाए जानें पर इस सीट के जाट मतदाता नाराज़ हैं तथा RLD के खिलाफ वोट करने की अपील कर रहें हैं।

जिया चौधरी नामक ट्विटर यूजर का कहना हैं कि “बहुत गलत किया हैं आपने जयंत चौधरी सिवालखास से आपको डिजर्विंग उम्मीदवार डॉक्टर राजकुमार सांगवान टिकट देना था. सॉरी हम लोग आपको वोट नहीं देंगे।”

एक अन्य यूजर आशीष चौधरी के अनुसार “सिवलखास के लिए गलत फैसला. राजकुमार सांगवान, सुनील रोहता, यशवीर सिंह कई सालों से बहुत मेहनत कर रहे थे. वे हर मौके पर लोगों तक पहुंचे. हमने गुलाम मोहम्मद को इस इलाके में कभी नहीं देखा. उसे वोट नहीं देंगे।”

आपको बता दें कि सोशल एक्टिविस्ट जफर सैफी को सूत्रों के अनुसार ख़बर मिली हैं कि “पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट मतदाता सपा-आरएलडी गठबंधन को उन सीटों पर वोट नहीं करेंगे जहाँ प्रत्याशी “मुस्लिम” होगा. अगर ये अंदेशा परिणाम में तब्दील हुआ तो मैं बीजेपी की हार को भी बीजेपी की जीत ही समझूंगा।”

जफर सैफी ने भी एक पोस्ट शेयर करके लोगों की नाराज़गी प्रस्तुत की हैं. जफर से लिखा कि “सिवालखास से गुलाम मोहम्मद को गठबंधन का प्रत्याशी बनाये जाने पर चौधरी साहब की नाराज़गी देख लो मित्रों।

इस प्रकार हम समझ सकते हैं कि बहुसंख्यक समाज जिस सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी होगा उस सीट पर भाजपा को वोट कर सकता हैं।

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