पेगासिस को शार्ट कट में जासूसी करना कह सकते हैं। लेकिन अब सवाल यह उठता है क्या जासूसी नाजायज है? या असंवैधानिक है?
फ़्लैश बैक में जाइए टीवी पर रामायण व महाभारत देखी होगी..वहां भी कई बार यह लाइन्स सुनी देखी होंगी कि “” महाराज हमारे गुप्तचरों ने यह सूचना दी है। ”
राजे रजवाड़े , राजमहल मुगलकाल ब्रिटिश काल सब गवाह है कि राजनीति में जासूसी एक अहम मुख्य हथियार रहा है।
जासूसी के तौर तरीके रंग रूप समय के साथ तकनीक के साथ बदले है, यह पेगासिस एक अत्याधुनिक तकनीक है बाकि फंडामेंटल थीम यही है कि सत्ता हर वक्त जासूसी करती आई है बाहरी दुश्मनों की भी और अपने अंदर वालों की भी, एक बुद्धिमान राजा सबसे पहले अपने घर की मतलब आस्तीन की सफाई करता है।
आडवाणी से यही गलती हुई वो आस्तीन में नही झांक पाए, यदि समय रहते इंटेलिजेंस सिस्टम बनाया होता तो आज ये दुर्दिन न देखते।
थोक के भाव में चप्पे चप्पे पर संघी निक्करधारी कांग्रेस में छोटे बड़े सभी पदों पर विराजमान है क्यों ? क्योंकि गांधी फैमिली ने जासूसी इंटेलिजेंस नेटवर्क का प्रयोग नही किया था।
अब सवाल यह उठता है कि क्या जासूसी जनहित का मुद्दा है ??
कुछ पत्रकारों जज अफसरों विपक्ष के नेताओ ,सत्ता पक्ष के नेताओ की जासूसी हुई…पहली बात जासूसी सत्ता का चरित्र है ,मुल्क में आईबी, रॉ, लोकल इंटेलिजेंस यूनिट, रेवेन्यू इंटेलिजेंस यूनिट ये सब संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार जासूसी के लिए ही बनाई गई हैं।
इंटेलिजेंस में एक स्पेशल सब्जेक्ट है पॉलिटिकल इंटेलिजेंस …पिछले 70 सालों से होती आ रही है, आप यह कह सकते हैं कि 2014 के बाद से चन्द्रगुप्त ने पोलिटिकल इंटेलिजेंस को बहुत ही शार्प व पेशेवर अंदाज से खड़ा किया है।
ब्रांड मोदी बनना और इतने उपद्रवों आंदोलनों फेलियर लाशों के ढेर पर खड़ा होने के बाद भी ब्रांड मोदी चमक रहा है तो उसके पीछे का मूल कारण जासूसी अर्थात इंटेलिजेंस ही है। हर नेता हर अधिकारी मीडिया हाउस की फाइल्स व कमजोर नस दबाई हुई है कैसे दबाई …जासूसी की होगी न!!
अब जासूसी के लिए मॉडर्न तकनीक पेशेवर स्टाइल से उन्होंने इजराइल से पेगासिस खरीद लिया ,सिंपल।।
अब मुझे कोई यह समझाए कि यहां आम जनता से जुड़ा मुद्दा क्या है ? यहां जनता को घंटा फर्क नही पड़ रहा ,चारो तरफ महंगाई पेट्रोल डीजल गैस निजीकरण बेरोजगारी ध्वस्त इकॉनमी ,गिरती ब्याज दरें, गंगा में तैरती लाशें, ऑक्सिजन की कमी से हजारों हजार की तड़पती मौत भी जनता को ब्रांड मोदी से डिगा नही पा रही तो उल्लुओं…. क्या सोचते हो तुम कुछ सौ-पचास की जासूसी हो गई तो जनता के ऊपर कौनसा पहाड़ टूट पड़ा ?? बताओ
जनाब राहुल गांधी आपकी पूरी यूपीए 2 सरकार चन्द्रगुप्त व गुरुकुल के इशारे पर नाच रही थी,, यदि उस टाइम अकल लगाई होती, जासूसी की होती , इंटेलिजेंस सिस्टम मजबूत होता तो सरकार न गिरती आपकी।
आपकी नाक के नीचे विवेकानंद फाउंडेशन में सब षडयंत्र होते रहे, आपके नेता व आपके अफसर उस षडयंत्र का हिस्सा बने और आप किस नींद में थे तब ??
वो चन्द्रगुप्त विदेशी आकाओं गुरुकुल चाणक्य की मदद से टेक्नोलॉजी , जासूसी इंटेलिजेंस की मदद से सत्ता में आया है, वो इस हथियार को क्यों छोड़ देगा बताओ ??
नोट:– पेगासिस पर सजपा-चंद्रशेखर का स्टैंड क्लियर है, हम किसी भी जासूसी इंटेलिजेंस एक्टिविटी का विरोध नही करते, यह सत्ता व राजनीति का अहम व अभिन्न अंग हैं।
(यह लेखक के अपने विचार है लेखक नवनीत चतुर्वेदी कार्यकारी अध्यक्ष उत्तर प्रदेश व राष्ट्रीय सचिव सजपा-चंद्रशेखर)