दिल्ली के प्रगति मैदान में लगे विश्व पुस्तक मेला में वैसे तो रोजाना बहुत सारी किताबों का लोकार्पण होता था लेकीन पत्रकार एवं लेखक जैगम मुर्तज़ा की किताब “पुलिसनामा- जहां मुर्दे भी गवाही देते हैं” का लोकार्पण काफ़ी चर्चा का विषय रहा।
4 मार्च को शाम 4 बजे राजपाल प्रकाशन के मंच पर इस किताब का लोकार्पण होना था लेकीन लोकार्पण से पहले ही यह किताब आउट ऑफ स्टॉक हो गईं जिसके कारण कार्यक्रम एक घंटा देरी से शुरू हुआ।
इस किताब में क्या लिखा गया हैं यह इसकी लोकप्रियता से ही पता लगाया जा सकता हैं. किताब के बारे में बताते हुए जैगम मुर्तज़ा ने कहा कि, हमारे देश में पुलिस रिफॉर्म पर बात साठ-सत्तर के दशक से ही चली आ रही है, लेकिन अभी तक कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ है. यह किताब सत्य घटनाओं पर आधारित हैं तथा इस किताब को दो हिस्से में विभाजित किया जा सकता है. एक में है पुलिस की मूर्खता और दूसरे में धूर्तता।
पुलिसनामा के लोकार्पण के मौके पर वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, व्यंग्यकार आलोक पुराणिक एवं राजपाल एण्ड सन्ज़ की प्रकाशक मीरा जौहरी मौजूद थीं।
उर्मिलेश ने किताब एवं लेखक की तारीफ़ करते हुए कहा कि हिंदी हार्टलैंड में पुलिस अत्याचार एक बड़ी समस्या है, यह किताब पुलिस की सच्चाई बयां करती हैं।