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राजनीति

मुसलमानों की राजनीतिक हिस्सेदारी पर विपक्षी पार्टियों का रवैय्या !

पूरे देश में एक राजनीतिक बहस चल रही है कि तमाम विपक्षी पार्टियों ने भाजपा हराने के नाम पर मुसलमानों को राजनीतिक हिस्सेदारी देने की जगह ठेंगा दिखा दिया है। इस मुद्दे पर लगातार सोशल मीडिया से लेकर इन तमाम पार्टियों के अंदर भी आवाज उठती रही है जिसका नतीजा धीरे-धीरे अब देखने को मिल भी रहा है।

कांग्रेस अध्यक्ष का स्टैंड

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक चुनावी रैली में कहा था कि “हमारी पार्टी में यह खबरें हम तक पहुंची है कि महाराष्ट्र में मुसलमानों को एक भी सीट पर प्रत्याशी ना बनाने की वजह से मुस्लिम समाज में बेहद नाराजगी है और हमारी पार्टी के कई नेता भी इस मुद्दे की वजह से नाराज चल रहे हैं। आगामी राज्यसभा और विधानसभा चुनाव में हम इस नाराजगी को “Compensate” करने की पूरी कोशिश करेंगे।

इसी प्रकार पूरे महाराष्ट्र के साथ खास तौर पर मुंबई रीजन में मुसलमानों का एक मुश्त समर्थन पाने वाले उद्धव ठाकरे ने भी इस बात को कबूल किया है कि मुसलमानों ने उनका भरपूर समर्थन किया है इसलिए आगामी विधानसभा चुनाव में वह भी मुस्लिम समाज पूरा ख्याल रखने की कोशिश करेंगे।

जैसे उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह को “मुल्ला मुलायम” कहा जाता है वैसे ही महाराष्ट्र में शरद पवार को “मुल्ला शरद” भी कहा जाता है। इसलिए आगामी विधानसभा चुनाव में एनसीपी भी मुस्लिम उम्मीदवारों को अपनी कैंडिडेट की लिस्ट उनकी आबादी के हिसाब से जगह जरूर देगी।

बिल्कुल ऐसे ही उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव भी इस बात को कबूल कर चुके है कि मुसलमानों के एक तरफ़ा समर्थन की वजह से ही विधानसभा चुनाव की तरह ही इस लोकसभा चुनाव में इतना व्यापक जीत प्राप्त कर पाए हैं। आगामी राज्यसभा और उत्तर प्रदेश की राजनीती में मुस्लिम समाज को इसका बदला भी प्रदान किया जायेगा।

कुल मिलाकर बात यह है कि अगर आप अपने समुदाय के राजनीतिक और सामाजिक उत्थान के लिए लगातार आवाज बुलंद करते रहेंगे तो आपकी ये आवाजें वहां तक भी पहुंचती हैं जो मुसलमान के समर्थन से सत्ता के शिखर पर काबिज होते हैं। फिर उनको मजबूर होना पड़ता है कि वो आपकी आवाज को सुने और आपको आपकी आबादी के हिसाब से राजनीतिक हिस्सेदारी देने की तरफ कदम बढ़ाए नहीं तो राजनीति में उथल पुथल होते ज्यादा देर नहीं लगती है।

तो मुझे लगता है कि आपको लगातार अपने समाज के उत्थान के लिए आवाज उठाते रहना होगा आप माने चाहे ना माने आपकी हर आवाज का कहीं ना कहीं असर जरूर होता है और नतीजे भी निकलते हैं।

आपकी इस मुद्दे पर क्या राय है हमारे साथ जरूर साझा करें!!!

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