आज से लगभग 9 साल पहले मुम्बई ATS ने मुंबई के नांदेड़ से पांच मुस्लिम नौजवानों को उठाया। महाराष्ट्र ATS ने उनपर आरोप लगाया कि वे लोग आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा के सदस्य हैं और मुंबई में साज़िश के तौर पर राजनेताओं, पत्रकारों और पुलिस अधिकारियों की हत्या करना चाहते हैं।
31 अगस्त 2012 को गिरफ्तार होने के 9 साल बाद कोर्ट ने उन पांच में से 2 मुस्लिम नौजवान मोहम्मद इलियास (38) और मोहम्मद इरफान (33) को सबूत न होने के अभाव में बाइज़्ज़त बरी कर दिया। मंगलवार देर रात को सुनवाई खत्म करते हुए कोर्ट ने उन दोनों को सभी आरोपों से बरी कर दिया। पुलिस ने उनके ऊपर UAPA के तहत मामला दर्ज किया था। कोर्ट ने उनके ऊपर से UAPA का भी चार्ज हटा दिया।
2012 में इन पाँचों मुस्लिम नौजवानों की गिरफ्तारी के बाद 2013 में NIA ने इस मामले को अपने हाथ में ले लिया। मंगलवार को NIA की एक स्पेशल अदालत ने पाँच में से 3 मुस्लिम नौजवान मोहम्मद अकरम, मोहम्मद मुज़म्मिल और मोहम्मद सादिक़ को UAPA और आर्म्स एक्ट के तहत दोषी ठहराते हुए 10 साल की सज़ा सुनाई है।
जबकि कोर्ट ने इलियास और इरफान को बेकसूर करार देते हुए कहा कि इन दोनों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं।
2012 में गिरफ्तारी से पहले इलियास नांदेड़ में ही फलों का बिज़नेस करता था और इरफान नांदेड़ में ही एक इनवर्टर बैटरी की दुकान चलाता था। पिछले 9 सालों में इन दोनों ने कई बेल पत्र लिखकर कई बार कोर्ट को ये आग्रह किया कि न ही NIA और न ही ATS के पास उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है।
मीडिया से बात करते हुए इलियास ने कहा कि वो बिल्कुल भी आश्चर्यचकित नहीं है क्योंकि उसको यकीन था कि वो बेकसूर है और उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है।
इलियास ने कहा कि “गिरफ्तारी के बाद उसको अपना धंधा बंद करना पड़ा क्योंकि मकान मालिक ने उससे दुकान खाली करने को कह दिया। ये जानने के बावजूद की मेरा केस बहुत कमज़ोर है फिर भी मैं ऊपरी अदालत में अपील नहीं कर पा रहा था क्योंकि मेरी आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गयी थी।”
इलियास ने कहा कि जब उसकी गिरफ्तारी हुई थी तब उसका सबसे छोटा बेटा मात्र 2 हफ्ते का था। पिछले 9 सालों में उसने अपने बीवी और बच्चों से सिर्फ एकबार 2017 में मुलाकात हुई थी।
9 साल बाद भले ही इलियास और इरफान को कोर्ट ने रिहा कर दिया हो लेकिन उनकी ज़िंदगी के कीमती 9 साल कौन लौटाएगा?