गुजरात में हुए हिंदुस्तान के इतिहास के सबसे बड़े दंगों के 67 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया हैं, इन लोगों पर 11 मुसलमानों की हत्या, लूटपाट और आगजनी का आरोप था।
2002 में गुजरात के नरोदा गाम दंगे के मामले में अहमादाबाद के विशेष अदालत के जज एस के बक्शी ने जिन 67 आरोपियों को बरी किया हैं उनमें बीजेपी नेता एवं पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी का नाम भी शामिल है।
2012 में SIT की विशेष अदालत ने माया कोडमानी और बाबू बजरंगी को हत्या और षडयंत्र रचने का दोषी पाया था. आरोप है कि उन्होंने गोधरा कांड से गुस्साए हजारों लोगों की भीड़ को उकसाया था, जिसके बाद नरोदा गाम में मुसलमानों की हत्या हुई. इस हिंसा में 11 लोगों की जानें गई थीं और 82 लोगों को आरोपी बनाया गया था।
अपने आरोपों के बचाव में माया कोडनानी ने कहा था कि वो दंगे के वक्त नरोदा में नहीं थीं. जबकि चश्मदीदों का कहना था कि वो दंगे के वक्त नरोदा में ही थीं और उन्होंने ही भीड़ को उकसाया था।
आपको बता दें कि 2017 में गृह मंत्री अमित शाह, माया कोडनानी के बचाव में गवाह के तौर पर कोर्ट में पेश हुए थे।
कोर्ट से बरी हुए दंगो के आरोपी बाबू बजरंगी ने एक स्टिंग ऑपरेशन में खुद स्वीकार किया है कि उसने किस तरह लोगों को मारा और दंगों में बच्चों को क़त्ल करने के बाद कैसा महसूस किया।
पत्रकार विनय सुल्तान के मुताबिक़, नरोडा गाम के रहने वाले अब्दुल रज्जाक से मैं नवम्बर 2017 में मिला था, उस वक्त मैंने उनसे पूछा था कि उन्हें अदालत से न्याय मिलने की कितनी उम्मीद है, उन्होंने जो कहा था वो आज सही साबित हो रहा है।
कोर्ट द्वारा सभी आरोपियों के बरी होने के बाद एक सवाल बार बार उठ रहा हैं कि आख़िर 11 मुस्लिमों की हत्या किसने की. अगर ये लोग हत्यारे नही हैं तो हत्यारे कौन हैं?