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2002 गुजरात दंगा: दंगाइयों ने गर्भवती कौसर का पेट चीर के उसका बच्चा निकालकर काट दिया

मरहूम सांसद की पत्नी ज़किया जाफरी आज भी इंसाफ़ के लिए सुप्रीम कोर्ट में चक्कर काट रही लेकिन 20 साल बाद भी इंसाफ़ नही मिला।

गुलबर्गा सोसायटी नरसंहार में 66 आरोपियों को नामजद किया गया था जिसमे अहमदाबाद कोर्ट ने 2016 में इस मामले में 24 आरोपियों को दोषी करार दिया है,जबकि 36 लोगों को बरी कर दिया।

बरी किए गए लोगों में बीजेपी के पार्षद बिपिन पटेल भी शामिल था, दंगे के 20 साल बाद भी पीड़ितों को नही मिला इंसाफ़।

2002 के गुजरात दंगे में शकीला बानो की आंखों के सामने उनकी माँ,भाई,भाभी व उनके बच्चों को काटकर आग में डाला गया।

शकीला की गर्भवती बहन कौसर के पेट को चीरकर बच्चा निकाल काट दिया गया, शकीला सैकड़ो लाशों के ऊपर से गुजरती हुई भाग निकली, वह अपने लिये नही भागी बल्कि नरोदा पाटिया नरसंहार में मारे गये सैकड़ो पीड़ितों को इंसाफ़ दिलाने के लिए भागी,और इस नरसंहार में शकीला गवाह बनी तो अदालत ने नरसंहार के 61 आरोपियों में से 32 लोगों को दोषी ठहराया और 29 को बरी कर दिया।

इस मामले में बीजेपी मंत्री माया कोडनानी भी जेल गई जो कि अभी जमानत पर बाहर है।

शकीला कहती है कि “उन्होंने पेट्रोल डाला और मेरी मां,भाई,भाभी और चार बच्चों को जिंदा जला दिया. उन्होंने मेरे भाइयों का सिर तलवार से काट दिया, जिसमे 1 दो महीने का एक लड़का भी था, उन्होंने कहा कि जब तुम नहीं रहोगे तो हम तुम्हारे बच्चे का क्या करेंगे,बच्चे को भी जिंदा जला दिया गया था।

शकीला ने बताया था कि “मैं इसे अपनी आँखों से देख सकती थी, लेकिन उन्हें बचा नहीं सकी, वह सड़क किनारे एक रेस्तरां के अंदर छिप गई, जैसे ही उसने बाहर देखा तो उसने देखा कि कई लड़कियों के साथ बलात्कार किया जा रहा है, कई अन्य को मार डाला गया और उनके शरीर को एक कुएं में फेंक दिया गया।

पुलिस ने पीड़ितों की मदद करने के बजाय उन्हे डराया धमकाया, उसने कहा कि उसने एक अदालत में गवाही दी और मौत की धमकी मिलने के बावजूद कथित हत्यारों की पहचान की और चुप रहने के लिए पैसे देने का लालच भी दिया गया लेकिन मैंने गवाही दी।

(यह लेखक के अपने विचार हैं लेखक ज़ाकिर अली त्यागी पत्रकार हैं)

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