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भारत सम्पादकीय

RSS से जुड़े रविशंकर जोशी की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 7 जनवरी तक हल्द्वानी के लोगों को जगह खाली करने का आदेश दिया हैं

ये सिर्फ़ एक तस्वीर नहीं है इनमें दुःख,दर्द,पीड़ा,तकलीफ,व्यथा,कष्ट, यातना मौजूद है.आप इसे महसूस करने के लिए अपने मुताबिक इनमें से किसी भी शब्दों का चयन कर सकते हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि इसके लिए आपका किसी भी धर्म विशेष से सम्बंध का होना जरूरी नहीं है। आपके अंदर इंसानियत होना ही काफी है। यकीन जानिए जब आप इसे महसूस करेंगे तो आपको रोना आयेगा और आप अपने बहते हुए आंसुओं को रोक नहीं पायेंगे। आपका दिल सिर्फ इनके बारे में सोचकर ही विचलित हो उठेगा।

दरसल मामला उत्तराखंड के हल्द्वानी का है.जहाँ पर गफ़ूर कॉलोनी के 4,365 घरों को अतिक्रमण के नाम पर हाईकोर्ट ने इसी मंगलवार को हटाने का आदेश दिया है। जहां पर लोग सदियों से जिंदगी गुजर बसर कर रहे थे। RSS से जुड़े रविशंकर जोशी के याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाते हुए 7 जनवरी तक लोगों को जगह खाली करने का आदेश दिया है. जो पूरे 29 एकड़ में फैला हुआ है। मामला फ़िलहाल सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है.जहाँ से प्रभावित होने वाले लोगों के तरफ से इस फैसले पर स्टे लगवाने की कोशिश की जा रही है।

तस्वीर को देखकर आपना मन इसलिए भी विचलित होना चाहिए कि हज़ारों की संख्या में लोग अपने आशियानों को बचाने के लिए ठिठुरती ठंड में सड़कों पर आ चुके हैं। जो लोकतांत्रिक तरीके से बैठकर अपने पर कहर जैसे टूट पड़े आदेशों को रोकने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं। जो अपने गुहार में कह रहे हैं अगर हमे उजाड़ना ही है तो कहीं बसा दो फिर उजाड़ दो। जिसमें बच्चे,बुढ़े,मर्द और औरत सभी शामिल है। जहां पर हर एक शख्स परेशान और उनके आँखों में चिन्ताओं का तूफान है।

तस्वीर को देखते ही आपका हृदय इसलिए भी विचलित होना चाहिए कि रोते बिलखते लोग सिर्फ़ यही तो चाहते हैं कि उनको बेघर नहीं किया जाए. उनसे उनका घर नहीं छिना जाए। जिनपर वो कई दशकों से रहते आ रहे हैं। जहां पर उनके पूर्वजों की यादें शेष हैं। जहाँ पर लोगों ने अपने आप को जवानी से बुढ़ापे में जाते देखा है। जहां पर उसने जिंदगी के सारी गाढ़ी कमाई को अपने मकानों में लगाया है। जिसे अतिक्रमण के नाम पर हटाने के फरमान जारी किए गए हैं।

तस्वीर को देखकर आपको इसलिए भी आकुल होना चाहिए कि सर्द के इस मौसम में जब लोग बाहर निकलना नहीं चाहते हैं। ऐसे में भी मासूम से छोटे बच्चे और बच्चियाँ तख्तियों को लेकर सड़कों पर बैठे हुए हैं। जो अपने को अंधकारमय जिंदगी के ओर धकेले जाने पर मौजूदा सत्ता पक्ष से सवाल कर रहे हैं। जो चीखकर पूछ रहे हैं कि वो अब कहाँ पढ़ेंगे उनके स्कूलों को तो ढहाया जा रहा है? जो कह रहे हैं कि हमारे घरों में माता पिता बुज़ुर्ग है। हम सबों को क्यों बेघर किया जा रहा है? बेघर होने के बाद वो कहाँ जाएंगे?

तस्वीरों को देखकर आपका मन इसलिए भी व्यथित होना चाहिए कि लोग पूरी तरह से टूट जाते हैं एक घर को बनाने में यहाँ तो 4365 घरों को को एक साथ बुलडोज करने के फरमान जारी हुए हैं। जहाँ रह रहे लोगों को एक झटके में ही बेघर किया जा रहा है.उनसे उनका आश्रय स्थल छिना जा रहा है। एक ही फरमान से लोगों को अंधकारमय जिंदगी में धकेला जा रहा है। वही मौजूदा सरकार विद्वेष में इसको लेकर थोड़ा भी रहम नहीं खा रही है। जो अपने ही लोगों को औपनिवेशिक शासन की याद दिला रही है।

तस्वीरों को देखकर आपका हृदय इसलिए भी क्लेशित होना चाहिए कि हज़ारों आशियानों को मौजूदा वो बीजेपी सरकार छिन रही हैं।जिन्होंने 2023 तक देश के हर परिवार को पक्का मकान देने का लक्ष्य रखा हुआ है। जिन्होंने कहा है देश का कोई भी आम शहरी बिना छत के नहीं सोएगा। यहाँ ठीक लक्ष्य के उलट काम किया जा रहा है। देश के आम शहरी को छत तो नहीं दिया जा रहा लेकिन छिना जरूर जा रहा है।

तस्वीर को देखकर आपका हृदय इसलिए भी झकझोर देना चाहिए कि देश की मेनस्ट्रीम मीडिया से ये इसलिए ग़ायब है.क्योंकि इनसे अल्पसंख्यक समुदाय यानी मुस्लिम समाज से आने लोग प्रभावित होने वाले हैं। सोचिए क्या ये देश मुसलमानों का नहीं है? क्या देश को आज़ाद कराने में इनका योगदान नहीं है? क्या इनके अपनों ने इस देश के लिए कुर्बानी नहीं दी है?
अगर ज़वाब हाँ है तो फिर इनके साथ इस तरह के वर्ताव क्यों?

अगर ये तस्वीर आपके मन को विचलित नहीं कर पा रही है तो आपको आत्मचिंतन करने की जरूरत है। आत्मचिंतन इसलिए कि आप किस जाल में फंसा दिए गए हैं। आपने किस धर्मों के अफीम को चूस लिया है? जो आपके जिंदगी से इंसानियत पूरी तरह से ग़ायब हो चुकी है। जो किसी भी अच्छे और सभ्य इंसान का गहना होता है। अगर आपका हृदय व्यथित नहीं हो रहा तो इसका मतलब है तब तक आप इस तस्वीर में शामिल लोगों के पहनावे पर जा चुके होंगे। यकीन जानिए मैं दावे के साथ कहता हूँ आपने इस तस्वीर में शामिल लोग जिनपर कहर का पहाड़ टूट पड़ा है इनके धर्मों को भी ढूंढ लिया होगा.जो सफ़र आपको इंसान से सीधे असभ्य इंसान के श्रेणी में लाकर खड़ा कर देता है। इंसानियत का यही पाठ है किसी के साथ अगर ज़ुल्म हो रहा है तो उनके साथ आइये और उनके लिए आवाज़ को बुलंद कीजिए और एक अच्छे इंसान होने का प्रमाण दीजिए।

लेखक: अब्दुल रकीब नोमानी (छात्र पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग मानू, हैदराबाद)

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