रामनवमी के दिन बिहार में हुए सांप्रदायिक दंगों में मुस्लिम समुदाय के लोगों को काफ़ी नुकसान पहुंचा है, दंगाइयों द्वारा चुन चुन कर मुसलमानों के घर, दुकान और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया गया हैं।
दंगों को लेकर सोशल एक्टिविस्ट तारिक अनवर चंपारनी का कहना हैं कि, अगर नीतीश कुमार चाहते तो सड़क पर उतरकर दंगा रुकवा सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
तारिक के मुताबिक़, दिल्ली में दंगा हुआ, केजरीवाल हाथ पर हाथ धरे बैठें रहे, हालांकि वह चाहते तो सड़क पर उतर सकते थे, वह जब सड़क पर उतरते तो उनकी पूरी सुरक्षा उनके साथ होती, बल्कि ऐसी संवेदनशील परिस्थिति में उनकी सुरक्षा में और भी पुलिस बल तैनात किए जाते, दंगा रुक सकता था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
दिल्ली एमसीडी के चुनाव में मुस्लिम बहुल सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार चुनाव हार गये. मुसलमानों ने अपने गुस्सा का सही समय पर इस्तेमाल किया।
बिहार शरीफ में दंगा हुआ, सत्ताधारी दल भाजपा और बजरंग दल पर आरोप मढ़ रहे है, हालांकि यह नीतीश कुमार का गृह जिला है, वह चाहते तो दो घंटे में बिहार शरीफ पहुंचकर सड़क पर उतरकर दंगा रुकवा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों अभी तक घटनास्थल पर नहीं पहुंच सके है, बल्कि अल्पसंखयक विभाग के मंत्री, अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन, वक्फ बोर्ड के चेयरमैन और मदरसा बोर्ड के चेयरमैन तक ने अभी घटना स्थल का दौरा नहीं किया है।
दंगे का पैटर्न और सरकार की उदासीनता बिल्कुल दिल्ली से मिलती जुलती है, अगर ऐसा ही रहा तो परिणाम भी दिल्ली से मिलता जुलता ही मिलने वाला है।