बेगम हज़रत महल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक ऐसी नायिका हैं जिन्होंने अग्रेजों की नाक में दम कर दिया था लेकिन आज यह इतिहास के पन्नों में दबकर रह गईं हैं।
बेगम हजरत महल का जन्म अवध प्रांत के फैजाबाद जिले में सन 1820 में हुआ था, यह अवध के नबाब वाजिद अली शाह की पत्नी थीं, जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों ने अवध राज्य को हड़पकर उनके पति नवाब वाजिद अली शाह को कोलकाता भेज दिया था तब बेगम हज़रात महल ने अवध की बागडोर अपने हाथ में लेकर लखनऊ पर कब्ज़ा कर लिया था।
बेगम हजरत महल ने अपने पुत्र बिरजिस कादर को गद्दी पर बिठाकर अंग्रेज़ी सेना का स्वयं डटकर मुक़ाबला किया था, आलमबाग़ की लड़ाई के दौरान उन्होंने अपने सिपाहियों का भरपूर हौसला आफज़ाई की तथा हाथी पर सवार होकर अपने सैनिकों के साथ दिन-रात युद्ध करती रहीं।
बेगम की ताक़त को देखते हुए अवध प्रांत के ज़मींदार, किसान और सैनिकों ने उनका साथ दिया और उनके नेतृत्व में आगे बढ़ते रहे।
दो बार अंग्रेजी सेना को पराजित करने वाली हज़रत महल ने अंग्रेजों की दयनीय स्थिति कर दी थीं उनकी रसद तक बंद कर दी, जैसे कैसे दिल में अंग्रेजी हुकूमत के प्रति भयंकर क्रोध के साथ जीती रही।
बहादुरी और हिंदू मुस्लिम के बीच नफरत की दीवारें को तोड़कर उन्होंने स्नेह और अपनेपन की मिसाल कायम की, अंत में अग्रेजों से मिली हार के बाद बेगम ने नेपाल में शरण ली जहाँ पर उनकी 7 अप्रैल 1879 को मृत्यु हो गयी।