मुंबई के सोमैया स्कूल की प्रिंसिपल परवीन शेख को सिर्फ इसलिए इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया क्योंकि हिंदुत्ववादी न्यूज़ वेबसाईट ऑपइंडिया ने उनपर गलत सूचना और नफरत फैलाने का आरोप लगाया था।
ऑपइंडिया ने अपनी वेबसाईट पर एक लेख प्रकाशित किया था, जिसमें उन्होंने परवीन शेख पर “हमास-समर्थक”, “हिंदू-विरोधी” और “इस्लामवादी उमर खालिद” का समर्थक होने का आरोप लगाया।
जिसके बाद से सोमैया स्कूल के प्रबंधन ने परवीन को पद छोड़ने के लिए कहा है, परवीन ने ऑपइंडिया के लेख पर अपनी निराशा व्यक्त करते हुए स्क्रॉल को बताया कि, मुझे पद छोड़ने के लिए कहना स्कूल प्रबंधक के लिए एक कठिन निर्णय था, स्कूल मेरी कड़ी मेहनत और योगदान को स्वीकार करता है. हालाँकि, उन्होंने कहा कि उन पर मेरे खिलाफ कार्रवाई करने का भारी दबाव था।
इस घटना को लेकर सपा विधायक अबू आसिम आजमी का कहना है कि, दुनिया के इंसाफपसंद मुल्कों के लोग इसराइली आतंकवाद से फिलस्तीन में हो रहे नरसंघार का जनविरोध कर रहे है।
मुंबई के सोमैया स्कूल की प्रिंसिपल परवीन शेख द्वारा सोशल मीडिया पर फिलिस्तीन के पोस्ट लाइक करने के बाद सांप्रदायिक मीडिया लेख लिखता है, जिसके बाद स्कूल का बोर्ड प्रिंसिपल से इस्तीफे की मांग करता है. इजराइल जो कर रहा है वो इंसानियत के खिलाफ है, यदि कोई इंसानियत के साथ खड़ा होना चाहे, भले ही वो सिर्फ सोशल मीडिया पर पोस्ट लाइक करने से ही क्यों ना हो क्या ये उसका अधिकार नहीं है? क्या अभिव्यक्ति की आज़ादी इस देश में सिर्फ हेट स्पीच वालों के लिए है?
क्या सोमैया स्कूल बोर्ड को पता नहीं है की भारत सरकार ने कितनी मदद फिलस्तीन के लिए भेजी है? स्कूल बोर्ड द्वारा परवीन शेख से इस्तीफे की मांग करना और सांप्रदायिक मीडिया के दबाओ में आकर शैक्षणिक संस्थानों द्वारा ऐसे फैसले लेना बेहद निंदनीय है. उम्मीद है की इस मामले में इन्साफ होगा।