यूएपीए के तहत गिरफ़्तार छात्र नेता अतीकुर्रहमान को लगभग 3 साल बाद सभी मामलो में ज़मानत मिल गईं हैं, बीती 14 जून वह को लखनऊ की जिला जेल से बरी हो गए।
जेल से बाहर आने के बाद अतीकुर्रहमान ने खुशी का इज़हार करते हुए इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाएं. इस दौरान उनके दोस्त और परिजन भी मौजूद रहें।
द क्विंट से बात करते हुए अतीकुर्रहमान ने कहा कि, मैं डरा नहीं हूं, यह मेरे लिए काफी मुश्किल भरा समय था. मुझे मेरे मुस्लिम होने और लोकतंत्र के लिए बोलने की सजा दी गई है. अगर लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए बोलना अपराध है तो मैं अपराधी हूं और मैं यह अपराध करता रहूंगा।
आपको बता दें कि, अतीकुर्रहमान को उत्तर प्रदेश पुलिस ने 2020 में पत्रकार सिद्दीक कप्पन और दो अन्य लोगों के साथ गिरफ़्तार किया था, यह लोग हाथरस गैंगरेप पीड़िता के परिवार से मिलने उत्तर प्रदेश जा रहे थे।
पुलिस ने इन सभी को UAPA की गंभीर धारा लगाकर जेल में डाल दिया था ताकि इनको जल्दी से जमानत नहीं मिल सकें और हुआ भी यहीं, पिछले तीन साल से जमानत के नाम पर सिर्फ़ तारीख़ ही मिल रहीं थीं।
अतीकुर्रहमान का कहना हैं कि, मैं अल्लाह के सिवाय किसी से नहीं डरता. मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है. मुझे लगभग तीन साल तक बिना किसी कारण के दंडित किया गया. मेरे पास डर की कोई वजह नहीं है।