राजधानी दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाक़े में हुए सांप्रदायिक दंगों के आरोप में गिरफ़्तार पांच मुस्लिम नौजवानों को साढ़े तीन साल बाद अदालत ने बाइज़्ज़त बरी कर दिया हैं।
इन लोगों पर दंगा भड़काने, तोड़फोड़, आगजनी और लूटपाट जैसे संगीन आरोप थे लेकिन पुलिस इनके खिलाफ एक भी सबूत पेश नहीं कर पाई थीं।
कड़कड़डूमा कोर्ट ने में चले इस मुकदमे के दौरान कोर्ट में पुलिस कोई भी ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई थीं जिसके कारण अदालत ने इरशाद, मौहम्मद शादाब, लियाकत अली, अरशद कय्यूम और रियासत को बाइज़्ज़त बरी कर दिया।
मुस्लिम युवकों की तरफ़ से पेश एडवोकेट जहीरुद्दीन बाबर चौहान ने कोर्ट में दलील पेश करते हुए कहा कि, इन लोगों के ख़िलाफ़ पुलिस अभी तक कोई भी सबूत पेश नहीं कर पाई हैं, सभी को झूठे मुकदमे में फंसाया गया हैं, इसलिए इनको रिहा किया जाएं।
एडवोकेट जहीरुद्दीन बाबर की दलील सुनने के बाद अदालत ने सभी को बरी कर दिया. आपको बता दें कि, इन सभी युवकों का केस जमीयत उलमा ए हिंद ने लड़ा था।
मुस्लिम युवकों की रिहाई पर मौलाना अरशद मदनी का कहना हैं कि, पुलिस ने इन सभी को झूठे मुकदमे में फंसाया था, आज इंसाफ की जीत हुई हैं।