भारत में जब जब चुनाव होते हैं उसके तुंरत बाद ईवीएम मशीन को लेकर गंभीर सवाल खड़े होते हैं तथा ईवीएम की साख खतरे में आ जाती हैं. हालिया विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भी ईवीएम को लेकर फिर से सवाल खड़े हो गए हैं।
कांग्रेस पार्टी के बड़े बड़े नेता अपनी हार की वजह ईवीएम मशीन को बता रहें हैं, दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं का कहना है कि, BJP ईवीएम में गड़बड़ी करके चुनाव जीती हैं।
इसी बीच एक नाम हैं जिसकी काफ़ी चर्चा हो रहीं हैं, वह नाम हैं हरि कृष्ण प्रसाद वेमुरु का, यह आंध्र प्रदेश सरकार में तकनीकी सलाहकार थे।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, हरि प्रसाद 2010 में सुर्खि़यों में आए थे क्योंकि तब उन के ऊपर कथित तौर पर ईवीएम से छेड़छाड़ करने और ईवीएम चुराने के आरोप लगे थे।
2019 में तेलुगु देशम पार्टी ने भारत के चुनाव आयोग को एक प्रस्तावित टीम का नाम सौंपा जिसमें हरि प्रसाद भी शामिल थे तो चुनाव आयोग ने उनकी उपस्थिति पर आपत्ति जताई थीं।
हरि प्रसाद के मुताबिक़, किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से छेड़छाड़ की जा सकती है. आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने 2009 में भी उन्हें ईवीएम हैक करने के लिए आमंत्रित किया था. मगर चुनाव आयोग ने हरि प्रसाद की टीम को अपना काम पूरा करने से पहले रोक दिया था, जिसके बाद चुनाव आयोग ने कहा कि उनकी टीम EVM हैक नहीं कर पायी।
हालांकि हरि प्रसाद का कहना था कि चुनाव आयोग ने उन्हें काम पूरा नहीं करने दिया. उन्होंने इस पूरी घटना का वीडियो रिकॉर्डिंग भी जारी करने की मांग की थी।