जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश की प्रबंधन समिति की महत्वपूर्ण सभा जामा मस्जिद पार्क मुरादाबाद यूपी में आयोजित की गई। इसकी अध्यक्षता जमीअत उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मौलाना अब्दुर्रब आज़मी ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में जमीअत उलमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने भाग लिया।
अपने संबोधन में मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा कि आज हम ऐसी परिस्थितियों में यहां एकत्र हुए हैं, जहां हमारे धैर्य का परीक्षण है, लेकिन हमारा साहस, हमारी हिम्मत विपरीत परिस्थितियों के बावजूद पहले से ज्यादा मजबूत है। हम इस विश्वास के साथ एकत्र हुए हैं कि यह बैठकें, खाने और चले जाने की बैठकें नहीं होंगी, न ही यह हमारी ओर से उत्साह और जोश को महज जबानी खर्च के तौर पर व्यक्त किया जाएगा। बल्कि, यह समय मैदान में निकल कर काम करने का है, हमें यह कृत संकल्प करना होगा कि हम साहस के साथ अच्छे जीवन के निर्माण के लिए निरंतर संघर्ष करें। एक दूरगामी और दीर्घकालिक नीति के तहत हमें बदलाव के लिए काम करना होगा और बदलाव की यह यात्रा खुद से शुरू होती है।
उन्होंने कहा कि आराम करने का समय नहीं है बल्कि कार्य-क्षेत्र में काम करने का समय है। तूफान हमारे ऊपर से गुजर चुका है और ऐसे समय में हमारी लापरवाही से ज्यादा शर्मनाक कुछ नहीं है।
मौलाना मदनी ने कहा कि कौमों की जिंदगी में परेशानियां आती रहती हैं। अल्लाह ने पवित्र कुरान में फरमाया है कि हम तुम्हारी तुम्हारे ईमान के कारण परीक्षा लेंगे, लेकिन यह परीक्षा हमें तोड़ने के लिए नहीं, बल्कि अल्लाह से इनाम के लिए है। यदि हम दृढ़ता के साथ आगे बढेंगे, तो हमें इनाम मिलेगा और यदि हमने हिम्मत हारी, तो हमारी रक्षा करने वाला कोई नहीं है।
मौलाना मदनी ने भारत सरकार के एनसीपीसीआर के चेयरमैन द्वारा हालिया दिनों में मदरसों के खिलाफ जहरीले बयान की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि उनका बयान अज्ञानता और इस्लाम विरोध पर आधारित है।
उन्होंने कहा कि बेहद जिम्मेदार पद पर होने के बावजूद उनके पास न तो कोई आंकड़ा है और न ही कोई जरूरी काम, बल्कि सिर्फ मुसलमानों को गालियां देकर मलाई काट रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस देश में दस मिलियन से ज्यादा बच्चे बाल मजदूरी के शिकार हैं और करोड़ों बच्चे आज भी शिक्षा से वंचित हैं। इसकी रोकथाम के लिए एनसीपीसीआर अध्यक्ष ने क्या काम किया?
मौलाना मदनी ने कहा कि हम यह नहीं कहते कि हमारा सिस्टम पूरी तरह से ठीक है, लेकिन आप जो आरोप लगा रहे हैं उसका धार्मिक मदरसों से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है।
उन्होंने कहा है कि उन्होंने जो गंदी भाषा का इस्तेमाल किया है, वह उनको मुबारक हो, हम न तो ऐसी अज्ञानता और गंदगी को पसंद करते हैं और न ही हम ऐसे भाव में जवाब देना चाहते हैं।
मौलाना मदनी ने कहा कि इस देश के बहुसंख्यक लोग शांतिप्रिय और संभवतः मुसलमानों के शुभचिंतक हैं। ऐसे नफरती लोगों की संख्या बहुत कम है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम देश के सभी कमजोर वर्गों और समान विचारधारा वाले लोगों के साथ साझा करें और देश के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं।
समाज सुधार पर बात करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि जो व्यक्ति अपने समारोह गैर-शरई रूप से करे, जिले में एक ऐसा समूह बनाना चाहिए जो काला झंडा लेकर उनके सामने खड़ा हो जाए।
बच्चों के प्रशिक्षण पर बात करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि बच्चों का प्रशिक्षण बहुत जरूरी है, हर घर में यह संदेश जाना चाहिए कि जितनी सुरक्षा आप अपनी मुर्गी की करते हैं, कम से कम उतना ही अपने बच्चों की भी सुरक्षा कर लें, तब ही हम उनके ईमान की सुरक्षा करने वाले कहलाएंगे।
मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने पर ध्यान दिलाते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि अगर हम जागरूक नहीं हुए तो हमारी पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी। वर्तमान समय में ईमान की रक्षा भी बहुत जरूरी है और साथ ही अपने नाम और दस्तावेजों को दुरुस्त करना भी समय की अहम मांग है।
जमीअत उलमा हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने अपने संबोधन में कहा कि जिस तरह से इस्लाम के संबंध में गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं, खासकर एक्स-मुस्लिम के नाम पर कार्यक्रम आयोजित कर अराजकता को बढ़ावा दिया जा रहा है, उसके विरुद्ध ठोस कदम उठाने जरूरत है। इसी तरह नई पीढ़ी को ईमान वाला बनाने के लिए बच्चों को मकतब से जोड़ने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि हमें आत्म परीक्षण भी करना चाहिए कि एक समय था जब लोग हमें देख कर ईमान लाते थे और आज इतनी नफरत क्यों है? उन्होंने कहा कि धर्मत्याग के प्रलोभन का सबसे पहले मुकाबला अमीरुल मोमिनीन हजरत अबू बक्र सिद्दीक (र.अ.) ने किया था।
जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल रब आज़मी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में संगठनात्मक स्थिरता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यहां जितने भी सदस्य उपस्थित हुए हैं, उन्हें जमीअत उलमा के कार्यक्रमों को अपने क्षेत्रों तक पहुंचाना चाहिए।
जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश नाजिम-ए-आला मौलाना मोहम्मद मदनी ने सचिव रिपोर्ट विस्तारपूर्वक प्रस्तुत की। मौलाना अब्दुल मोईद फतेहपुरी ने कार्यक्रम के संचालन का दायित्व निभाया मौलाना कलीमुल्लाह कासमी हंसोड़ ने उनकी सहायता की। सुझाव प्रस्तुत करने वाले अन्य वक्ताओं में कारी जाकिर, सचिव जमीअत उलमा यूपी, मौलाना सैयद हातिब लखनऊ, मुफ्ती बिन्यामीन, मौलाना अमीनुल हक अब्दुल्ला, सैयद ज़हीन अहमद मदनी, मौलाना इमरान खान, मौलाना मूसा कासमी, मौलाना अब्दुल खालिक, हाफिज ओबैदुल्लाह, मौलाना इफ्तिखार हापुड़, मौलाना गुलफाम, मुफ्ती मोहम्मद सादिक, हाफिज़ मोहम्मद कासिम, मौलाना आसिम अब्दुल्ला बेंगलुरु आदि विशेष रहे।
बैठक में केंद्रीय कार्यालय से मौलाना जियाउल्लाह कासमी, मौलाना शोएब, मौलाना अजीमुल्लाह कासमी, मौलाना अबू बकर, मौलाना नसीम ने उपस्थिति दर्ज कराई।
सभा में मकतबों की स्थापना, इस्लामिक मदरसों की स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की सुरक्षा, मुसलमानों के शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ेपन, लड़कियों के लिए विशेष संस्थानों की स्थापना और इस्लामिक शिक्षाओं के संबंध में गलतफहमियों को दूर करने और धर्म त्याग के रोकथाम, समाज सुधार, मुस्लिम अवकाफ की सुरक्षा, फ़िलिस्तीन सहित कई प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
मौलाना मुफ्ती अबू बक्र इब्न मुफ्ती मोहम्मद सलमान मंसूरपुरी और कारी नजीब भागलपुरी और मौलाना अब्दुल हक रसूलपुरी ने मेहमानों का धन्यवाद ज्ञापन किया और कार्यक्रम के आयोजन के लिए जिला प्रबंधन और स्थानीय प्रबंधन समिति जमीअत उलमा की भी सराहना की। अंत में मौलाना अब्दुल रब आज़मी की दुआ पर सभा समाप्त हुई। मौलाना कारी अहमद अब्दुल्लाह साहब ने जमीअत का तराना प्रस्तुत किया। बैठक से पहले दारुल उलूम जकारिया के मोहतमिम मौलाना सलीम कासमी ने अपने मदरसे में जमीअत उलमा हिंद के अध्यक्ष का स्वागत किया।