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दिल्ली दंगा: कोर्ट ने मुस्लिम व्यक्ति की हत्या के मामले में अरुण, अमन और प्रदीप समेत 5 लोगों को दोषी ठहराया

दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा के मामले में पांच हिंदू पुरुषों को गैर इरादतन हत्या और गैरकानूनी ढंग से एकत्र होने के आरोप में दोषी ठहराया है, जहां दंगाई भीड़ ने 24 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति की बेरहमी से हत्या कर दी थी।

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने दयालपुर पुलिस थाने में सात आरोपियों के खिलाफ दर्ज मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि, अदालत ने अपने समक्ष मौजूद साक्ष्यों पर गौर किया और कहा कि यह स्थापित हो चुका है कि घातक हथियारों से लैस दंगाई भीड़ ने 25 फरवरी, 2020 को चांद बाग इलाके में पीर बाबा मजार के पास मोहसिन नामक एक मुस्लिम व्यक्ति की हत्या कर दी थी।

अदालत ने पूछा, “इस मामले में विवाद का मुख्य मुद्दा यह है कि क्या आरोपी व्यक्ति उन दंगाइयों में शामिल थे, जिन्होंने पीड़ित मोहसिन पर बेरहमी से हमला कर उसकी हत्या कर दी थी?”

लेकिन अदालत ने कहा कि इस बात को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि इन पांचों आरोपियों ने मोहसिन पर हमला किया था।

अदालत ने आगे कहा कि मोहसिन की मौत के लिए उनका आपराधिक दायित्व भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 149 (गैरकानूनी जमावड़ा) पर आधारित होना चाहिए।

न्यायाधीश ने कहा, “पीड़ित के सिर पर चोट पहुंचाने के लिए इन पांचों आरोपियों में से किसी की भी कोई विशिष्ट भूमिका न होने के कारण, मेरा मानना ​​है कि उनका दायित्व गैर इरादतन हत्या तक सीमित होना चाहिए।

दोषियों में आशीष गोली, अरुण मुन्ना, अमन कश्यप, प्रदीप राय और देवेन्द्र यादव शामिल हैं. अन्य दो आरोपियों को न्यायाधीश ने सभी आरोपों में बरी करते हुए कहा कि यह साबित नहीं हुआ कि कृष्णकांत और राहुल भारद्वाज दंगाई भीड़ का हिस्सा थे।

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