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भारत के प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने फिलिस्तीनी में ज़ारी नरसंहार पर संयुक्त वक्तव्य जारी कर अत्याचार रोकने की अपील की

भारत के प्रमुख मुस्लिम निकायों, धार्मिक विद्वानों और नागरिक समाज समूहों ने सामूहिक रूप से फिलिस्तीन संकट पर एक संयुक्त घोषणापत्र जारी किया है, जिसमें भारत सरकार और वैश्विक शक्तियों से हस्तक्षेप करने और गाजा में जारी अत्याचारों को रोकने की अपील की गयी है।

फिलिस्तीन पर संयुक्त बयान में कहा गया है कि भारत के अधोहस्ताक्षरी मुस्लिम संगठनों के रहनुमा, इस्लामी विद्वान और भारत के शांतिप्रिय नागरिक गाजा में हो रहे नरसंहार और मानवीय संकट की कड़ी निंदा करते हैं।

हम 20 करोड़ से अधिक भारतीय मुसलमानों और हमारे देश भारत के के सभी शांतिप्रिय नागरिकों की ओर से फिलिस्तीन के लोगों के प्रति अपना अटूट समर्थन और एकजुटता व्यक्त करते हैं। हम भारत सरकार, अंतर्राष्ट्रीय रहनुमाओं और दुनिया भर के विवेकशील लोगों से अपील करते हैं कि वे इस अन्याय के विरुद्ध खड़े हों और इजरायल के निरंतर आक्रमण को समाप्त करने के लिए त्वरित पहल करें।

फिलिस्तीनी लोगों पर लगातार हो रहे हमले ने क्रूर नरसंहार का रूप ले लिया है, जिसमें घरों, अस्पतालों, स्कूलों और शरणार्थी शिविरों को व्यवस्थित तरीके से नष्ट किया जा रहा है। अक्टूबर 2023 से अब तक लगभग 100,000 निर्दोष फिलिस्तीनियों, जिनमें बड़ी संख्या महिलाओं और बच्चों की है, की अकाल मृत्यु हो गयी। चिंताजनक रिपोर्ट यह है कि गाजा की 90 फीसद स्वास्थ्य सुविधाएं या तो नष्ट हो चुकी हैं या बंद हो गयी हैं तथा 20 लाख से अधिक निवासियों के पोषण के लिए नाममात्र के राशन केंद्र बचे हैं। 17,000 से अधिक बच्चे अनाथ हो गए हैं या उनका कोई परिजन नहीं बचा।

इसी प्रकार पांच लाख से अधिक बच्चों को शिक्षा से वंचित कर दिया गया है।, हजारों टन आवश्यक खाद्य और चिकित्सा आपूर्ति सीमा पर अवरुद्ध है, और पानी और सफाई की उचित व्यवस्था नहीं होने की वजह से संक्रमित एवं घातक बीमारियों का तेजी से फैलाव हो रहा है। नाकेबंदी को तत्काल समाप्त नहीं किया गया तो गाजा को व्यापक अकाल के खतरे का सामना करना पड़ सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय मूकदर्शक नहीं रह सकता। हम सभी देशों से इज़राइल के साथ सैन्य और आर्थिक संबंध तोड़ने और अवैध कब्जे को समाप्त करने के संयुक्त राष्ट्र महासभा के आह्वान के समर्थन की अपील करते हैं। हम सभी मुस्लिम बहुल देशों से आग्रह करते हैं कि वे इस तबाही को रोकने के लिए इज़राइल और अमेरिका पर कड़ा दबाव डालें।

भारत ऐतिहासिक रूप से उत्पीड़ितों के साथ खड़ा रहा है; यह उस विरासत को पुनः पुष्ट करने का समय है। हम भारत सरकार से मांग करते हैं कि वह फ़िलिस्तीनी जनता के न्यायोचित संघर्ष में उनके साथ दृढ़ता से खड़े होकर अपनी दीर्घकालिक नैतिक और कूटनीतिक परंपरा का सम्मान करे।

भारत को इजरायल की क्रूर कार्रवाइयों की निंदा करनी चाहिए, उसके साथ सभी सैन्य और रणनीतिक सहयोग बंद कर देने चाहिए तथा क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक प्रयासों का सक्रिय रूप से समर्थन करना चाहिए।

हम भारत सरकार से मानवीय सहायता को बढ़ावा देने की अपील करते हैं तथा गाजा में घिरे नागरिकों तक आवश्यक आपूर्ति – भोजन, पानी, ईंधन और चिकित्सा सहायता – का प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए मानवीय गलियारों को तत्काल खोलने की मांग करते हैं। हम व्यक्तियों और संस्थाओं से इस नरसंहार में शामिल इज़राइली उत्पादों और कंपनियों का बहिष्कार करने का आह्वान करते हैं।

नागरिक समाज, शैक्षणिक संस्थानों और धार्मिक संगठनों को उत्पीड़ितों की आवाज़ बुलंद करनी चाहिए और फ़िलिस्तीनी संघर्ष के बारे में फैलाए जा रहे दुष्प्रचार और गलत सूचनाओं का विरोध करना चाहिए।

हम भारत के लोगों से भी शांतिपूर्ण और वैध प्रतिरोध में भाग लेने की अपील करते हैं। एकजुटता मार्च, जागरूकता अभियान, अकादमिक चर्चाएँ और सर्वधर्म सभाएँ आयोजित की जानी चाहिए ताकि यह दिखाया जा सके कि भारतीय विवेक सोया नहीं है। हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि फिलिस्तीन के प्रति समर्थन राज्य के उत्पीड़न या दमन का लक्ष्य न बने तथा नागरिक बिना किसी भय के स्वतंत्र रूप से एकजुटता व्यक्त कर सकें।

हमारी आवाज़ में राजनीतिक स्वार्थ नहीं, बल्कि हमारे संविधान और हमारी सभ्यता के नैतिक ताने-बाने में निहित सिद्धांतों की झलक हो। नरसंहार के सामने चुप रहना या तटस्थ रहना कूटनीति नहीं है – यह न्याय को कायम रखने में विफलता है। अब गाजा के लोगों के साथ एकजुटता से खड़े होने का समय है। आइए हम न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और करुणा की अपनी विरासत से प्रेरित हों। हमें मिलकर इस मानवीय त्रासदी को रोकने के लिए आवाज़ उठानी चाहिए – इससे पहले कि अपूरणीय क्षति हो जाए।

हस्ताक्षरकर्ता

  1. मौलाना अरशद मदनी, अध्यक्ष, जमीयत उलेमा हिंद
  2. मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, अध्यक्ष, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
  3. सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी, अमीर, जमाअत-ए-इस्लामी हिंद
  4. मौलाना अली असगर इमाम महदी, अमीर, मर्कज़ी जमीयत अहल-ए-हदीस
  5. मौलाना हकीमुद्दीन कासमी, महासचिव, जमीयत उलेमा-ए-हिंद
  6. मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी, अमीर शरियत, अमारत ए शरिया बिहार, उड़ीसा, झारखंड, पश्चिम बंगाल
  7. मुफ़्ती मुकर्रम अहमद, इमाम, शाही जामा मस्जिद, फ़तेहपुरी
  8. मौलाना ओबैदुल्लाह खान आज़मी, प्रसिद्ध अहल – ए सुन्नत धर्मोपदेशक, पूर्व संसद सदस्य (राज्यसभा)
  9. मलिक मोतसिम खान, उपाध्यक्ष, जमाअत-ए-इस्लामी हिंद
  10. डॉ. मुहम्मद मंज़ूर आलम, महासचिव, आल इंडिया मिल्ली काउंसिल
  11. डॉ. ज़फ़रुल इस्लाम ख़ान, पूर्व अध्यक्ष, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग
  12. श्री अब्दुल हफीज, अध्यक्ष, एसआईओ ऑफ इंडिया
    मौलाना मोहसिन तक़वी, प्रसिद्ध शिया धर्मोपदेशक और धार्मिक विद्वान
  13. प्रोफेसर अख्तरुल वासे, पूर्व कुलपति

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