कड़कड़डूमा कोर्ट ने बुधवार को 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में तीन निर्दोष नागरिकों—इर्शाद, अकील उर्फ़ पापड़ और रईस खान—को सभी आरोपों से बरी कर दिया।
थाना दयालपुर में दर्ज केस नंबर 78/20 में इन पर लूट, आगज़नी और संपत्ति नुकसान के आरोप लगाए गए थे। अदालत ने सबूतों को अपर्याप्त और आरोपों को निराधार मानते हुए तीनों को बरी किया।
जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से इर्शाद का बचाव करते हुए अधिवक्ता सलीम मलिक ने अदालत में ठोस दलीलें पेश कीं और बताया कि पुलिस द्वारा पेश किए गए ज्यादातर सबूत भ्रामक थे।
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा कि संगठन ने दंगों के तुरंत बाद दो मोर्चों पर पीड़ितों की मदद शुरू की थी—राहत व पुनर्वास के तहत 166 घर बनाए गए, 11 मस्जिदें और 274 दुकानों की मरम्मत की गई, जबकि कानूनी मदद के तहत अब तक 264 मामलों में पैरवी की गई, जिसमें 586 लोगों को जमानत और 85 निर्दोषों को बरी कराया गया।
मौलाना मदनी ने फैसले को “सब्र, हिम्मत और कानूनी लड़ाई की जीत” बताते हुए पीड़ित परिवारों और वकीलों को बधाई दी।