जमात-ए-इस्लामी हिंद (JIH) ने उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के खिलाफ बढ़ती पुलिस बर्बरता और सुनियोजित निशानेबाजी पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
संगठन ने कहा कि “आई लव मुहम्मद ﷺ” अभियान के बाद राज्य में जो दमन और गिरफ्तारियों की लहर चली है, वह कानून व्यवस्था नहीं बल्कि संवैधानिक शासन के पतन का संकेत है।
एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) के सचिव नदीम खान ने JIH की मासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “पुलिस अब सुरक्षा का नहीं, बल्कि उत्पीड़न का औज़ार बन गई है।” उन्होंने बताया कि शांतिपूर्ण तरीके से पैग़ंबर मुहम्मद ﷺ के प्रति प्रेम व्यक्त करने वाले मुस्लिम युवाओं पर झूठे मुकदमे थोपे जा रहे हैं।
खान के अनुसार, 23 सितंबर 2025 तक देशभर में कुल 21 FIR दर्ज की गईं, जिनमें 1,324 मुसलमानों को नामजद किया गया और 38 गिरफ्तारियां हुईं — सिर्फ़ बरेली में ही 10 एफआईआर दर्ज की गईं।
उन्होंने कहा कि कई मामलों में “आई लव मुहम्मद” का ज़िक्र तक नहीं है, बल्कि “गैरकानूनी जमावड़ा” और “वैमनस्य फैलाने” जैसी धारणाएं जोड़ी गईं, जिससे साफ़ होता है कि यह एक राजनीतिक रूप से प्रेरित कार्रवाई है।
उन्होंने कहा कि यहां तक कि नाबालिग बच्चों को भी व्हाट्सऐप डीपी लगाने पर हिरासत में लिया गया और मौलाना तौकीर रज़ा ख़ान जैसे धार्मिक नेताओं को बार-बार निशाना बनाया जा रहा है। नदीम खान ने कहा, “बुलडोज़र अब विकास का नहीं, बल्कि सामूहिक सज़ा और राजनीतिक प्रतिशोध का प्रतीक बन चुका है।”
JIH और APCR ने मांग की है कि सभी राजनीतिक रूप से प्रेरित एफआईआर रद्द की जाएं, बेगुनाहों को तुरंत रिहा किया जाए और पुलिस अत्याचार पर न्यायिक जवाबदेही तय की जाए।