तेलंगान के साइबराबाद कमिश्नरेट के अंतर्गत नचाराम पुलिस स्टेशन की सीमा के पास चाणक्यपुरी कॉलोनी में स्थित मस्जिद-ए-अशरफ के सामने ईशा की नमाज़ के दौरान हिंदुत्ववादियों ने तलवारें लहराते हुए जय श्रीराम के के नारे लगाए।
जानकारी के मुताबिक, 20-25 हिंदुत्ववादियों का एक समूह मोटरसाइकिल पर सवार होकर छत्रपति शिवाजी जयंती जुलूस में भाग लेने के बाद लौट रहा था, जिनमें से कई लोगों के पास तलवारें और भगवा झंडे थे, जैसे ही यह लोग मस्जिद के सामने तो इन्होंने हंगामा करते हुए जय श्रीराम के नारे लगाने शुरू कर दिए।
बताया जा रहा है कि यह पूरी घटना पुलिस के सामने हुई, लेकिन नचाराम पुलिस मूकदर्शक बनी रही. मजलिस बचाओ तहरीक (MBT) के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमजदुल्लाह खाम का कहना है कि हमनें इस घटना कि लिखित शिकायत और वीडियो साक्ष्य नचाराम पुलिस स्टेशन को दिए है लेकिन अभी तक अपराधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
श्री खान ने कहा कि तेलंगाना में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से ऐसी घटनाओं में वृद्धि हुई है और यह एक साल में 30वीं सांप्रदायिक घटना है. रेवंत रेड्डी द्वारा अपनाई गई नरम हिंदुत्व नीति के कारण ऐसी घटनाएं हो रही हैं और उन्हें यकीन है कि असामाजिक तत्वों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी क्योंकि पिछले रिकॉर्ड बताते हैं कि ऐसी घटनाओं में पुलिस ने कोई उचित कार्रवाई नहीं की।
अमजदउल्लाह खान ने चाणक्यपुरी कॉलोनी स्थित मस्जिद-ए-अशरफ का दौरा किया और समिति के सदस्यों से मुलाकात की तथा तलवारें लहराने तथा जेएसआर के नारे लगाने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ साइबराबाद पुलिस की निष्क्रियता का विरोध किया।
उन्होंने नचाराम पुलिस की चुप्पी पर सवाल उठाया तथा कहा कि यदि पुलिस ने पिकेट लगाई होती तथा सावधानी बरती होती तो शायद यह घटना नहीं होती. पुलिस की इसी निष्क्रियता के कारण पिछले वर्ष चेंगिचेरला में एक बड़ा मामला सामने आया था और लगभग 30 निर्दोष मुस्लिम युवकों को पूरा रमजान जेल में बिताना पड़ा था तथा वे अभी भी न्यायालय में उपस्थित हो रहे हैं।
पिछले वर्ष हुई सांप्रदायिक घटना का कारण भी यही था कि बजरंग दल का एक सदस्य तीन दिनों तक मस्जिद के सामने विशेष रूप से नमाज के समय प्रतिबंधित राजा सिंह का गाना राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मुद्दे पर बजा रहा था तथा मुसलमानों द्वारा स्थानीय पुलिस से शिकायत करने के बावजूद उक्त गाने को रोकने तथा उक्त व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसके कारण एक बड़ी सांप्रदायिक घटना हुई।
इस रमज़ान-2025 से पहले भी वही सांप्रदायिक तत्व अशांति पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं और साइबराबाद पुलिस की चुप्पी एक और सांप्रदायिक घटना को जन्म देगी। मुझे यह जानकर बहुत आश्चर्य हुआ कि मस्जिद-ए-अशरफ के आसपास पुलिस के कोई सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं।