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कांग्रेस पार्टी ने मध्य प्रदेश में सिर्फ़ दो मुसलमानों को टिकट दिए हैं, जबकि आबादी के हिसाब से 15 टिकट मिलने चाहिए थे, क्या ऐसे मिलेगी आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी?

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ने अपने सभी उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया हैं, जिसके बाद से हिस्सेदारी को लेकर कांग्रेस पार्टी पर गंभीर सवाल खड़े हो रहें हैं।

“जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” की बात करने वाली कांग्रेस पार्टी ने 230 में से सिर्फ़ 2 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिए हैं जबकि आबादी के हिसाब से मुसलमानों को लगभग 15 टिकट मिलने चाहिए थे।

कांग्रेस के टिकट बटवारे से ही पता चल रहा हैं कि हिस्सेदारी की बात सिर्फ एक नारा हैं जिसकी आड़ में सभी पार्टियां सिर्फ़ राजनीति कर रहीं हैं।

पूर्व आइपीएस अब्दुर रहमान के मुताबिक़, पहली लिस्ट के 144 उम्मीदवारों में केवल एक मुस्लिम था. अब दूसरी लिस्ट के 86 उम्मीदवारों मे भी केवल एक है. इस तरह कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में केवल दो मुसलमानों को टिकट दी है

राज्य में मुसलमानों की आबादी 6.57% है जिसके हिसाब से कम-से-कम 15 MLAs होने चाहिए. एक तरफ राहुल गांधी जातिगत जनगणना और संख्या के हिसाब से भागीदारी की बात करते हैं और दूसरी ओर ऐसा अन्याय. कॉंग्रेस के समाजी न्याय में मुसलमान कहाँ हैं?

कॉंग्रेस पूरी तरह बहुसंख्यक समुदाय के तुष्टीकरण में लगी है और मुसलमानों को एक बंधक के तौर पर इस्तेमाल कर रही है. इसे जनता के सामने एक्सपोज करने की जरूरत है।

कांग्रेस के टिकट बटवारे को लेकर पत्रकार अंसार ईमरान का कहना है कि, कमलनाथ जी को तो छोड़िए उनका तो पुराना रिकॉर्ड भी सही नहीं है अधिकतर जनता आज भी उनको कांग्रेसी संघी ही बोलती है मगर दिग्विजय सिंह जी आप तो सुलझे हुए इंसान है तो फिर कैसे आपके सामने मुस्लिम केंद्रित सीट बुरहानपुर पर किसी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट न दे कर एक पार्टी तोड़ने वाले व्यक्ति को टिकट दिया गया है।

अगर बुरहानपुर के सभी 23 कांग्रेसी पार्षदों का इस्तीफा और लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शन के बाद भी आपकी नींद नहीं खुलती है तो याद रखियेगा कि अब अगर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM बुरहानपुर में कोई मजबूत प्रत्याशी उतारती है तो आपको उन्हें A,B,C,D टीम कहने का कोई हक़ हासिल नहीं है।

एक तरफ तो आपके नेता राहुल गांधी आबादी के हिसाब से राजनीतिक हिस्सेदारी की बातें करते है वहीं दूसरी तरफ चुनावी मैदान में मुस्लिम उम्मीदवारों से कन्नी काटते हैं, कहीं मुसलमानों को कांग्रेस बेहद नाराज न कर दे और जो राज्य लगभग जीता हुआ है वहां हार की वजह यही नाराजगी बने।

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