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उत्तर प्रदेश: प्रतापगढ़ में पुलिस की गोली से तौफीक खान की मौत, शरजील उस्मानी बोले- तौफीक के एनकाउंटर पर सभी नेता इसलिए चुप हैं क्योंकि उसका नाम दुबे,मिश्रा,गुप्ता नहीं हैं

उत्तर प्रदेश में फेंक एनकाउंटर के मामलों में लगातार वृद्धि होती जा रही हैं. आए दिन यूपी पुलिस किसी को भी फर्जी एनकाउंटर में उड़ा देती हैं।

प्रतापगढ़ के बाबूतारा गांव से पुलिस द्वार कथित फेंक एनकाउंटर का मामला सामने आया हैं. जिसमें पुलिस की गोली लगने से एक मुस्लिम नौजवान तौफीक की मौत हो गई हैं।

तौफीक की पत्नी आलिया ने पुलिस पर तौफीक की हत्या का आरोप लगाते हुए कहा हैं कि “पुलिसवालों ने तौफीक को दौड़ाकर गोली मारी हैं”. लेकिन पुलिस ने बाद में इस घटना को मुठभेड़ बताते हुए एक फिल्मी कहानी बना दी।

तौफीक की पत्नी का आरोप है कि शनिवार देर रात अचानक पुलिस उनके घर पहुंचती हैं. उस समय तौफीक और हम सब सो रहें थे. पुलिस के पहुंचने पर तौफीक जाग गया और पुलिस से बचने के लिए भागने लगा. जिसके बाद पुलिस ने उसका पीछा करते हुए उसे पीछे से गोली मार दी।

पुलिस पर आरोप हैं कि इस घटना पर पुलिस ने 7 घंटे तक चुप्पी साधे रखीं. जबकि पहले ऐसी घटना की जानकारी पुलिस तुरंत मीडिया को देती थी।

इस घटना पर विपक्षी पार्टियों के नेताओ की ख़ामोशी पर सोशल एक्टिविस्ट शरजील उस्मानी का कहना है कि “प्रतापगढ़ के बाबूतारा गाँव निवासी तौफ़ीक़ खान के फेक एनकाउंटर पर सेक्युलर नेताओं की चुप्पी की वजह क्या? इंसानी जान का नुकसान तबतक असल में नुकसान नहीं जबतक मरने वाले का नाम दुबे, मिश्रा या गुप्ता न हो?

शरजील उस्मानी के अनुसार “तौफ़ीक़ खान मुसलमान हैं. सेक्युलर पार्टियों की माने तो उनके क़त्ल का इल्ज़ाम उनके ही सिर न लग जाए, इसी को ग़नीमत समझा जाए। वरना अखिलेश यादव, प्रियंका गाँधी, बहन मायावती चुप क्यों?

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