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केंद्र सरकार ने जामा मस्जिद की मरम्मत करवाने से इंकार किया, संसद में कहा- जामा मस्जिद पुरातत्व विभाग की ऐतिहासिक धरोहर की सूची में नहीं हैं

हिंदुस्तान की ऐतिहासिक धरोहर शाही जामा मस्जिद में मरम्मत का काम करवाने से केंद्र की भाजपा सरकार ने इंकार कर दिया हैं।

जामा मस्जिद की हालत काफी जर्जर हो चुकी हैं जिसके कारण अक्सर मलबा छूटकर गिरने लगता हैं. तथा बरसात में पानी भी टपकता हैं।

जामा मस्जिद की जर्जर हालत को देखते हुए शाही इमाम मौलाना सैयद अहमद बुखारी साहब ने हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जामा मस्जिद की मरम्मत करवाने का अनुरोध किया था. जिसके जवाब में केंद्र सरकार ने मरम्मत का काम करवाने से इंकार कर दिया हैं।

संसद में जामा मस्जिद की मरम्मत करवाने के लिए पूछे गए सवाल पर केंद्र सरकार ने जवाब देते हुए कहा कि “जामा मस्जिद केंद्र सरकार के पुरातत्व विभाग की ऐतिहासिक धरोहर की सूची में नहीं हैं इसलिए हम इसकी मरम्मत नहीं करवा सकते हैं।”

इस जवाब के विरोध में जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना सैयद अहमद बुखारी साहब ने गुस्से का इज़हार करते हुए कहा कि “केंद्र सरकार जामा मस्जिद की मरम्मत का काम न तो खुद कर रहीं हैं और न दूसरों को करने दे रहीं हैं।”

शाही इमाम का कहना है कि सऊदी अरब की सरकार जामा मस्जिद की मरम्मत के लिए पैसा देने के लिए तैयार हैं लेकिन केंद्र सरकार ने पैसा लेने से इंकार कर दिया हैं. जिससे साफ़ ज़ाहिर हैं कि केंद्र सरकार काम नहीं करवाना चाहती हैं।

शाही इमाम के अनुसार, पुरातत्त्व विभाग ने दो साल पहले भी जामा मस्जिद में काम करवाया हैं और इससे पहले भी करवाता आया हैं. लेकिन अचानक से मना कर देना की जामा मस्जिद हमारे विभाग में नहीं हैं यह गलत हैं।

एक आरटीआई के जवाब में केंद्र सरकार ने कहा था कि “हमनें जामा मस्जिद पर पैसा खर्च किया हैं” जिससे पता चलता हैं कि जामा मस्जिद की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की ही हैं।

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